Muzaffarnagar: दो सगे भाइयों की हत्या में कुख्यात विनोद बावला दोषमुक्त

गवाहों ने अदालत में अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया

Update: 2024-10-01 06:13 GMT

मुजफ्फरनगर: पुरानी रंजिश के चलते किनौनी गांव में पांच दिसंबर 2005 को बुग्गी में गन्ना लेकर तौल केंद्र पर जा रहे दोनों सगे भाइयों की हत्या कर दी गई थी।

शाहपुर थाना क्षेत्र के किनौनी गांव के सगे भाई श्रवण और नरेंद्र की 19 साल पहले गोली मारकर की गई हत्या में आरोपी विनोद बावला को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया गया। गवाहों ने अदालत में अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया। प्रकरण की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट संख्या-सात के पीठासीन अधिकारी कनिष्क कुमार सिंह ने की।

पुरानी रंजिश के चलते किनौनी गांव में पांच दिसंबर 2005 को बुग्गी में गन्ना लेकर तौल केंद्र पर जा रहे दोनों सगे भाइयों की हत्या कर दी गई थी। वादी सतेंद्र मोटा ने आठ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। आरोपी विनोद बावला की पत्रावली अलग कर दी गई थी।

सोमवार को अदालत में सुनवाई हुई। साक्ष्य के अभाव में आरोपी विनोद बावला को अदालत ने दोषमुक्त करार दिया।

वादी पक्ष की ओर से दोहरे हत्याकांड में विनोद बावला, ओमवीर, बिट्टू, नरेश, कविंद्र, उमरदीन, मोनू और सोहनवीर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। कुछ दिन बाद ही सोहनवीर की मौत हो गई, जिस कारण सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। इनमें विनोद बावला की पत्रावली अलग कर दी गई थी। जबकि बाकी छह आरोपियों पर एडीजे सात की कोर्ट में 23 नवंबर 2011 में दोष सिद्ध हुआ था। इन छह दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

किनौनी गांव में धर्मेंद्र की साल 2004 में गांव के जंगल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें नरेश पक्ष के लोग नामजद हुए थे। इस वारदात में श्रवण और नरेंद्र गवाह थे। आरोप था कि गवाही से रोकने के लिए दोनों की हत्या कर दी गई थी। दोहरे हत्याकांड के वादी सतेंद्र उर्फ मोटा की साल 2009 में किनौनी के एक घेर में हुए बम विस्फोट में मौत हो गई। दो लोगों की मौत के अलावा पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।

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