इलाहाबाद न्यूज़: नया साल हर दृष्टिकोण से प्रयागराज के लिए महत्वपूर्ण है. जहां विकास के कई कार्य होने हैं वहीं शहर में राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ेगी. नए साल में निकाय चुनाव होंगे. 2023 में होने वाला निकाय चुनाव सामान्य चुनाव नहीं होगा. लगभग सभी पार्टियां निकाय चुनाव दमदारी से लड़ने की तैयारी कर रही हैं क्योंकि 2024 में लोकसभा का चुनाव होगा. कहने को निकाय चुनाव गली-मोहल्लों का होता है, लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है. लोकसभा चुनाव के ठीक एक साल पहले शहर के साथ आठ नगर पंचायतों में भी निकाय चुनाव होगा. इसलिए सभी राजनीतिक दल निकाय चुनाव को गंभीरता से ले रहे हैं. निकाय चुनाव के परिणाम के आधार पर राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगे. निकाय चुनाव के लिए भाजपा ने छह महीने पहले तैयारी शुरू कर दी. सपा ने भी पिछले तीन महीने में चुनाव को लेकर तैयारी तेज की. बसपा पार्टी सिंबल पर निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी. वर्षों बाद बसपा निकाय चुनाव को लेकर गंभीर है. पार्टी चुनाव के लिए गुपचुप तैयारी कर रही है. कांग्रेस भी चुनाव को लेकर लगातार मीटिंग कर रही है.
ओबीसी आरक्षण बन गया है बड़ा मुद्दा: निकाय चुनाव में आरक्षण बड़ा मुद्दा बन गया है. प्रयागराज में महापौर की सीट सामान्य से पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित करने का छिटपुट विरोध हुआ. न्यायालय से आरक्षण निरस्त होने के बाद भाजपा और समाजवादी पार्टी पिछड़ी जाति के आरक्षण के समर्थन में कूद पड़ीं.
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सबको है इंतजार: महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष और पार्षदों के आरक्षण की अधिसूचना जारी होने के बाद सभी पार्टियों ने निकाय चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी. शासन स्तर पर आपत्तियों का निस्तारण चल रहा था कि इसी प्रकरण पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने आरक्षण की अधिसूचना निरस्त करते हुए नए सिरे से आरक्षण के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया. प्रदेश सरकार ने आरक्षण के लिए कमेटी गठित कर दी है. साथ ही उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई है. सभी पार्टियां एकबार फिर न्यायालय के फैसले और नए सिरे से होने वाले आरक्षण का इंतजार कर रही हैं.
23 जनवरी से नगर निगम की कमान प्रशासक के पास होगी. 22 जनवरी को महापौर और पार्षदों का कार्यकाल समाप्त होगा. इसके बाद प्रशासक नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था देखेंगे. निकाय चुनाव के बाद पहले नगर निगम सदन की बैठक होगी.