मेरठ न्यूज़: ऊर्जा निगम के खंभे और तार कभी भी जानलेवा हो सकते हैं। तार नीचे झूल रहे हैं, जो जान जोखिम में डाल सकते हैं। इस बात को ऊर्जा निगम के अधिकारी भी जानते हैं, लेकिन जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं। शहर में ज्यादातर खंभे जर्जर हो गए हैं। निचला हिस्सा खंभों का गल गया है, जिसके चलते खंबे गिर सकते हैं और बड़ा हादसा पेश आ सकता है। इसी तरह का जर्जर तारों का मामला है। जर्जर बिजली के तार भी नहीं बदले जा रहे हैं। ऊर्जा निगम के एमडी अरविंद बंगारी बिजली घरों का निरीक्षण तो कर रहे हैं, लेकिन क्या कभी उन्होंने जर्जर खंभों और झूलते तारों के बारे में अफसरों से पूछा हैं कि ये क्या हो रहा हैं? जर्जर खंभों को बदलने का क्या विचार किया है? विचार किया होता तो जर्जर खंभे बदल दिये जाते। बिजली के बिलों की वसूली के लिए जिस तरह का दबाव आम जनता पर ऊर्जा निगम के अफसर बना रहे हैं, इस तरह से रुचि जर्जर तारों को बदलने और जर्जर खंभों को चेंज करने में भी लेनी चाहिए थी। इस तरह का दबाव जनता पर पहले कभी नहीं बनाया गया। बिजली का फाल्ट दूर करने में कई घंटे लगा दिये जाते हैं और सरचार्ज पूरा लिया जाता हैं। एक दिन का भी सरचार्ज कम नहीं लिया जाता। शहर में लगे खंभों का ऊर्जा निगम के अधिकारियों को सर्वे कराना चाहिए, ताकि जर्जर खंभों को हटाकर दोबारा से खंभों को लगाया जा सके और इस तरह से जो लोगों की जान को जोखिम में डाल सकते हैं, उससे बचा जा सकता है।
ऊर्जा निगम ने शहर में बिजली की सुचारू व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए कोई प्लान तैयार नहीं किया। सिर्फ और सिर्फ जनता का बिजली वसूली के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। लोगों के मीटर तेजी से दौड़ रहे हैं। बिजली बिल ज्यादा आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि मीटर जम्प मार रहे हैं। इसको ऊर्जा निगम के अफसर भी मानते हैं, लेकिन ऐसे मीटरों को बदला नहीं जा रहा हैं। उसको लेकर किसी तरह की समस्या का निदान ऊर्जा निगम के अधिकारी नहीं कर रहे हैं। आखिर शहर के जर्जर खंभे बदलने का इंतजार कर रहे हैं। लगता है ऊर्जा निगम के अफसरों की नींद तभी टूटेगी जब कोई अनहोनी सामने घटित हो जाएगी।