देश के सात राज्यों से की जा रही सबसे ज्यादा साइबर ठगी

पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए दूर दराज के लोगों को शिकार बनाया जाता है

Update: 2024-04-06 07:37 GMT

मेरठ: देश के सात राज्यों में बैठकर साइबर अपराधी सबसे ज्यादा साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. मेरठ के साइबर क्राइम थाने की ओर से इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इन सभी राज्यों की साइबर क्राइम टीम से संपर्क किया गया है और इनके साथ मिलकर आरोपियों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए प्रयास किया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों ने खुलासा किया है कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए दूर दराज के लोगों को शिकार बनाया जाता है. वहीं, इंटर स्टेट समन्वय कम होने के कारण कार्रवाई पुख्ता नहीं हो पाती और आरोपी बच जाते हैं.

साइबर अपराधी एक क्लिक पर लोगों का खाता खाली कर रहे हैं और दनादन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

मेरठ समेत वेस्ट यूपी में पिछले एक साल में साइबर क्राइम की जो भी वारदात हुई हैं, उनमें ज्यादा कॉल बिहार, झारखंड(देवधर और जामताड़ा), पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से आई थी. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि साइबर अपराधी अपने राज्य से बाहर ही वारदात कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है, चूंकि राज्यों की पुलिस के बीच साइबर क्राइम को लेकर समन्वय नहीं हो पाता है और कार्रवाई नहीं हो पाती है. इसके अलावा आरोपियों की सही लोकेशन जब तक संबंधित राज्य की पुलिस को दी जाती है, उस समय तक आरोपी जगह और मोबाइल नंबर बदल देते हैं.

मेरठ में एक साल में 30 मामले : मेरठ में पिछले एक साल यानी वर्ष 2023 में 30 साइबर क्राइम की घटनाएं हुई हैं. इससे पहले वर्ष 2022 में आंकड़ा 17 सौ था. साइबर सेल ने कुल रकम का करीब 35 प्रतिशत रिकवर कराया है.

कार्रवाई की प्लानिंग

यूपी पुलिस साइबर क्राइम से निपटने के लिए राज्यों के बीच समन्वय बनाने में लगी है. मेरठ साइबर क्राइम थाने की टीम भी बाकी राज्यों की पुलिस की साइबर टीम से संपर्क बना रही है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि किसी अन्य राज्य से कोई घटना अंजाम दी जाए तो वहां की साइबर सेल की टीम को तुरंत सूचना देकर कार्रवाई कराई जा सके. वहीं, दूसरी ओर ठगी में इस्तेमाल होने वाले खातों पर कार्रवाई को योजना बनाई जा रही है.

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