45 हजार से अधिक आवारा कुत्ते बिना रैबीज इंजेक्शन के घूम रहे

आवारा कुत्तों को रैबीज इंजेक्शन लगाने व बधियाकरण की गति धीमी है

Update: 2024-05-04 09:26 GMT

अलीगढ़: नगर निगम की सीमा में 45 हजार से अधिक आवारा कुत्ते बिना रैबीज इंजेक्शन बधियाकरण के घूम रहे हैं. नगर निगम इस व्यवस्था पर 53 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुका है. आवारा कुत्तों को रैबीज इंजेक्शन लगाने व बधियाकरण की गति धीमी है. गर्मियों में आवारा कुत्तों के स्वभाव में बदलाव होता है जो लोगों के लिए खतरा है. घटनाएं शुरू हो चुकी हैं. 11 माहब् में वनगर निगम पिछले सात माह में 5800 आवारा कुत्तों को एंटी रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण कर चुका है.

नगर निगम ने मई 20 से अलीगढ़ में आवारा कुत्तों को रैबीज इंजेक्शन व बधियाकरण करने का काम शुरू किया था. एक निजी एजेंसी को काम दिया गया है. एजेंसी कुत्तों को पकड़ने, छोड़ने, एंटी रैबीज, बाधियाकरण, उपचार के लिए 918 रुपये प्रति कुत्ता लेती है. इसी शुल्क में खाना, एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में रखना, उपचार, दवा भी शामिल होती है. अभी तक नगर निगम इस व्यवस्था पर 53 लाख रुपये खर्च चुका है. लेकिन शहर में 45 हजार से अधिक कुत्ते बिना इंजेक्शन व बंधियाकरण के घूम रहे हैं जो मानव के लिए खतरा हैं. नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक 50 हजार से अधिक आवारा कुत्ते नगर निगम की सीमा में हैं. नए वार्ड बढ़ने से इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है.

प्राइमरी, बूस्टर व एनुअल डोज लगती है नगर निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश वर्मा ने बताया कि कुत्तों को प्राइमरी, बूस्टर व एनुअल डोज लगने का नियम है. लेकिन अभी प्राइमरी स्तर पर इंजेक्शन लग रहा है. प्राइमरी डोज छह से आठ माह ही प्रभावी रहती है. बूस्टर व एनुअल डोज एक से डेढ़ साल कारगर होती है.

बधियाकरण से प्रजनन क्षमता होती है खत्म एंटी रैबीज इंजेक्शन के साथ बधियाकरण भी कुत्तों का किया जा रहा है. बधियाकरण से प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है. जिस श्वान का बधियाकरण यानी नसबंदी हो जाती है वह बच्चे पैदा नहीं कर पाता है. इसका मकसद केवल संख्या में कमी लाने को है.

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