माडल गांव तुर्रा आज भी विकास से कोसो दूर

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Update: 2023-01-13 12:33 GMT
बांदा। सूबे की सरकार बुन्देल खण्ड के विकास हेतु लगातार शासन से पैसा भेज रही हो लेकिन सरकार के धरातल पर बैठे नुमाईन्दे सरकार की योजनाओ को मूर्त रूप न देकर के अपने निजी विकास मे तन्मयता से लगे हुये दिखाई दे रहे है। जिलाधिकारी महोदया सरकार की योजनाओ को धरातल पर लागू करने के लिये दिन रात अधिकारियो व कर्मचारियो को आदेशित करती रहती है ताकि धरातल पर काम आल इज द वेल रहे। लेकिन कर्मचारियो मे भी अपने निजी विकास की ऐसी होड लगी है कि सारा ग्राम विकास ध्वस्त पडा हुआ है।हमारी मीडिया टीम के द्वारा माडल गाँव तुर्रा का विजिट किया गया तो सारी हकीकत खुलकर सामने आ गयी। ग्राम विकास हेतु जो बजट शासन से आता है।
उसका बंदरबाट कर सचिव प्रधान अपना विकास कर रहे है। देश आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद तुर्रा ग्राम पँचायत के लोग आज भी बिजली पानी सडक नाली स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओ से आज भी वँचित है। कच्ची सडके कीचडयुक्त होने की वजह से छोटे छोटे नौनिहाल कैसे विद्मालय जाते होगे। बीमारी होने पर या डिलीवरी होने पर कैसे एम्बूलेँस पहुँचती होगी। नाम न छापने की शर्त मे कुछ ग्रामीणो ने बताया कि ग्राम प्रधान पति रिटायर फौजी है तथा शाम ढलते ही शराब के नशे मे धुत होकर ग्रामवासियो को धमकी भी देता है कि मै अनुसूचित जाति का हूँ जिसने भी मेरी शिकायत की तो मै उसके खिलाफ एस सी.एस.टी. मुकदमा लगवा दूँगा जिस वजह से ग्रामीण चुपचाप ग्राम प्रधान पति का जुल्म सह रहे है।
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