मित्र मंच प्रमुख ने मंडलायुक्त से की कार्रवाई की मांग, डूब क्षेत्र को लेकर विकास प्राधिकरण का दोहरा मापदण्ड
मांझा जमथरा, गौरापट्टी व तारापुर रजौली को डूब क्षेत्र बता कार्रवाई करने के मामले में अयोध्या विकास प्राधिकरण का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है। सहादतगंज में जयपुरिया स्कूल के पास के क्षेत्र में बंधा न होने के बाद भी लोगों को राहत दी जा रही है। इसी तरह स्माइलपुर व लोलपुर जैसे क्षेत्रों में बंधा न होने के बावजूद भी होटल आदि के लिए प्राधिकरण के द्वारा एनओसी दी गई है।
इसे लेकर मित्र मंच ने प्राधिकरण अध्यक्ष होने के नाते मंडलायुक्त नवदीप रिनवा को 8 सूत्रीय मांग पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है। मित्रमंच प्रमुख शरद पाठक बाबा ने रिनवा को दिए मांग पत्र में कहा है कि उक्त कथित डूब क्षेत्रों में लगभग 3 से 4 हजार भवन निर्मित हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ों परिवार भारतीय सेना के हैं। इन सबकी रजिस्ट्री आवासीय में होती है और उसका दाखिल खारिज भी राजस्व विभाग द्वारा होता है। यहां बिना नोटिस के प्राधिकरण द्वारा प्लॉटों को ध्वस्त कर दिया गया, जो अत्यंत निंदनीय है।
शरद पाठक ने सवाल किया कि उक्त क्षेत्र में हजारों लोगों ने आवास बना लिये, हाउस टैक्स, वाटर टैक्स व बिजली का बिल जमा करते हैं। फिर उक्त क्षेत्र को डूब क्षेत्र कैसे घोषित किया जा सकता है? जबकि नया घाट में डूब क्षेत्र वाले स्थान पर सरयू कॉलोनी, होटल रामप्रस्थ, रामकथा पार्क, रामकथा संग्रहालय, महारानी हो पार्क और राष्ट्रीय बस अड्डा निर्मित कर दिया गया। यह कैसे संभव है कि बंधा बनने के बाद एक क्षेत्र को डूब क्षेत्र से हटा दिया जाता है, जबकि दूसरे क्षेत्र को डूब में ही रखा जाता है।
अभियंताओं की तैनाती के बाद कैसे निर्मित हुए आवास?
मित्र मंच के प्रमुख शरद पाठक ने एक बड़ा सवाल किया है कि जब प्राधिकरण के हर क्षेत्रों में अभियंताओं की तैनाती रहती है तो फिर कैसे अवैध प्लॉटिंग और कालोनियां निर्मित हो जाते हैं? क्या इन अभियंताओं की सुविधा शुल्क की संस्कृति के चलते उन्हें मौन स्वीकृति प्रदान की जाती है? अगर अफसरों द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया है तो उन पर क्यों न कार्रवाई की जाए।