Meerut: फ्लैट नहीं देने पर 10.20 लाख हर्जाना देने का निर्देश

45 दिनों में नहीं दिया तो समय सीमा के बाद 15 फीसदी ब्याज लगेगा.

Update: 2024-07-20 08:05 GMT

मेरठ: राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने रकम लेकर भी फ्लैट नहीं देने वाले बिल्डर को आवंटी को जमा की गई पूरी धनराशि वापस करने के साथ मानसिक परेशानी के लिए लाख रुपये हर्जाना देने के निर्देश दिए. इस दौरान किराए के मकान में रहने का पीड़िता के खर्च हुए लाख रुपये और मुकदमे में खर्च 20 हजार रुपये भी देने के निर्देश दिए. यह भी कहा गया कि बिल्डर फ्लैट के रुपये 45 दिनों में नहीं दिया तो समय सीमा के बाद 15 फीसदी ब्याज लगेगा.

शिकायतकर्ता नैनी प्रयागराज निवासी दुजेन्द्र कुमार की अपील पर आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार और सदस्य विकास सक्सेना की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.

उपभोक्ता ने भारतीय स्टेट बैंक के जीएम और बिल्डर को पार्टी बनाया था. उपभोक्ता का कहना था कि उसने मिस मंजू जे होम्स इंडिया राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद की ओर से प्रस्तावित रेड एप्पल होम्स योजना में बुकिंग कराई थी. बिल्डर ने आश्वासन दिया था कि योजना की जमीन खरीदी गई है. वह उनके कब्जे में है. बिल्डर का एग्रीमेंट में दावा था कि 30 माह में कब्जा मिल जाएगा. इसमें 180 दिन की अतिरिक्त छूट होगी. परियोजना 2017 में पूरी हो जाएगी. बिल्डर ने शिकायतकर्ता को 875 वर्गफुट क्षेत्रफल वाली यूनिट संख्या के-708 आवंटित की थी. इसके लिए 26 अक्तूबर 2014 को अनुबंध किया गया. यूनिट की कुल लागत 26,61,000 रुपये तय की गई थी. शिकायतकर्ता के अनुसार बिल्डर ने भारतीय स्टेट बैंक की मिलीभगत से मूल भुगतान विधि के विरुद्ध 2,00,000 रुपये और चेक से 5,79,500 रुपये भुगतान प्राप्त कर लिया. इस प्रकार 25,79,500 रुपए का भुगतान बिल्डर को कर दिया गया. कुल लागत के लगभग 95 फीसदी भुगतान के बावजूद बिल्डर ने तय अवधि में फ्लैट का निर्माण पूरा नहीं किया. आयोग ने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट स्थापित है कि विपक्षी पक्षकार, बिल्डर ने मनमानी की है.

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