मेरठ न्यूज़: शासन ने नगर निगम इंजीनियरों द्वारा किये गए सड़क घोटाले का संज्ञान ले लिया हैं। सड़क का निर्माण 300 मीटर का किया था और एस्टीमेट 600 मीटर का बना दिया गया था। यह पूरा मामला उछल गया था। कई दिनों तक सड़क घोटाले का मामला मीडिया की सुर्खियों में बना रहा, जिसके बाद मेयर सुनीता वर्मा ने मौके पर निरीक्षण करने के बाद कहा था कि दोषी इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसकी जांच नगरायुक्त अमित पाल शर्मा ने अपने स्तर से भी की थी, जिसके बाद ही सड़क घोटाले की जांच रिपोर्ट तैयार करने के बाद शासन को भेज दी थी। घोटाले को लेकर शासन ने संज्ञान ले लिया हैं। इसमें दो इंजीनियरों पर निलंबन की गाज गिर सकती हैं। इसके आदेश कभी भी नगर निगम में आ सकते हैं। बाकी इंजीनियरों पर विभागीय कार्रवाई होगी। ऐसी चर्चा भी चल रही है कि शासन ने इसका संज्ञान लेते हुए कार्रवाई कर दी हैं, मगर फिलहाल इसकी अधिकृत रूप से पुष्टि नहीं हो पाई हैं।
वार्ड-35 में एक सड़क का निर्माण नगर निगम ने किया था। मौके पर सड़क का निर्माण हुआ 300 मीटर तथा भुगतान लेने के लिए 600 मीटर के दस्तावेज लगा दिये गए थे। इसका खुलासा तब हुआ जब अधिकारियों की टेबल पर इसका भुगतान होने के लिए पहुंच गया था। इसी बीच पूरा मामला मीडिया में सुर्खियों में आ गया था, जिसके बाद भुगतान तो नगरायुक्त ने रोक लिया था, लेकिन बरती गई अनियमितता पकड़ में आ गई थी। मेयर सुनीता वर्मा और नगरायुक्त अमित पाल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर इसमें कार्रवाई करने के आदेश दिये थे।
जांच रिपोर्ट एक कमेटी ने तैयार की, जिसकी रिपोर्ट तैयार करने के बाद शासन को भेज दी गई थी। क्योंकि प्रकरण ज्यादा सुर्खियों में आने के बाद शासन ने पूछ लिया था। सूत्रों का कहना है कि नगर निगम से भेजी गई रिपोर्ट पर शासन ने संज्ञान ले लिया हैं, जिसमें दो इंजीनियरों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती हैं। ऐसा कहा जा रहा हैं। जो बाकी इंजीनियर दोषी हैं, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो सकती हैं। ऐसी चर्चाएं नगर निगम में चल रही हैं। हालांकि इसकी नगर निगम में अधिकृत रूप से किसी ने पुष्टि नहीं की हैं, लेकिन चर्चाएं आम हो गई हैं। इसका कोई आदेश भी अभी निगम आॅफिस में नहीं आया हैं।