मेरठ स्कूल न जाने वाले बच्चों के आभूषणों के आभूषण
बच्चों को नियमित रूप से स्कूल के लिए पदच्युत कर दिया गया।
मेरठ: पत्रिका बच्चों को अचंभित करने वाली रचना, स्थापत्य कला विभाग के तहत स्थापत्य कला, बच्चों को नियमित रूप से स्कूल के उद्यमों के लिए प्रेरित करने की शुरुआत की है. इसके तहत स्कूल में नहीं जाने वाले बच्चों के महल को नुक्कड चौपाल पर फूल-माला पहनाकर सम्मानित किया गया औरबच्चों को नियमित रूप से स्कूल के लिए पदच्युत कर दिया गया।
रिवोल्यूशनरी रिसर्च के तहत ए.पी. डॉ. अटराडा के ग्राम अतराडा में शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी एवं जिला समन्वयक प्रशिक्षण रश्मि अहलावत के निर्देशन में नुक्कड चौपाल का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विद्यालय से अधिकांश वन्यजीव आवास वाले छात्रों के लिए मूर्तिकला का आयोजन किया गया था। इसमें ढोल बजवाया गया. गाँव में बच्चों के माता-पिता को फूल-माला पहनाकर सम्मानित किया गया। उन्हें यह अधिकार दिया गया कि वे अपने बच्चों को नियमित तौर पर स्कूल भेजें।
इस इमाम में अतरादा गांव में स्थित परिषदीय आश्रम के शिक्षक, शिक्षक भी शामिल थे। गांव में ढोल बजाकर और स्कूल से हॉस्टल वाले ज्यादातर बच्चों की मूर्तियों को फूलों की माला पहनाकर उनका आग्रह था कि वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं तो हम ही आपको जगाने आपके घर चले गए हैं। इस दौरान मदरसा को विद्यालय में सरकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम भारत के विषय में विस्तार से बताया गया। साथ ही विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों की उपलब्धि के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके साथ-साथ विभाग द्वारा सुझाए गए एंड्राइड मोबाइल फोन एप जैसे रीड-ए-लॉग, डायनागा एप, टेक्सट टारगेट एप, शासन प्रदत्त पाठ्य सामग्री बिग जैसे बुक, प्रिंट रिच कंटेंट, गणित किट/विज्ञान किट आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। से बताया गया.