मायावती ने यूपी में भाजपा काे सत्ता मिलने के लिये मुस्लिम को कसूरवार ठहराया

Update: 2022-03-28 10:26 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के लिये मुसलमानो को कसूरवार बताते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि विधानसभा चुनाव के परिणामों से साफ हो चुका है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के पास न तो उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की और न ही भाजपा को सत्ता में आने से रोकने की काबलियत है। भाजपा का सत्ता से बेदखल करने की कुव्वत सिर्फ बसपा के पास है। आज़मगढ़ लोकसभा उपचुनाव में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को बसपा का प्रत्याशी घोषित करते हुये सुश्री मायावती ने रविवार को यहां प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में कहा कि चुनाव नतीजो से साफ हुआ कि इस चुनाव में जब बसपा से जुड़ा मुस्लिम समाज का वोट एकतरफा सपा में जाते दिखा जबकि हिन्दू समाज ने भाजपा सरकार की नीतियों व कार्यशैली से दुःखी होते हुये भी यह सोचकर अपना अधिकांशः वोट भाजपा को दे दिया कि कहीं यहाँ फिर से सपा का गुण्डा, माफिया, आतंकी, हल्ला बोल व भ्रष्ट राज आदि वापिस ना आ जाये। इससे सपा तो सत्ता में नहीं आ सकी बल्कि भाजपा सत्ता में जरूर वापिस आ गई।इसका काफी जबरदस्त राजनैतिक नुकसान बसपा को हुआ है जिसके लिए सपा व अधिकांशः मुस्लिम समाज पूरे तौर से जिम्मेवार व कसूरवार भी है।

उन्होने कहा कि मुस्लिम समाज का एकतरफा वोट लेकर तथा दर्जन भर संगठनों एवं पार्टियों से गठबन्धन करके चुनाव लड़ने के बावजूद भी सपा सत्ता में आने से काफी दूर रह गई है। ऐसे में अब सपा कभी भी आगे यहाँ सत्ता में वापिस नहीं आ सकती है तथा ना ही यह पार्टी बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती है। सुश्री मायावती ने कहा कि हमेशा की तरह मुस्लिम समाज के लोग सपा को वोट देकर काफी ज्यादा पछता रहे हैं और इनकी इसी कमजोरी का सपा यहाँ यूपी में बार-बार फायदा भी उठा रही है जिसे रोकने के लिए अब हमें इन भटके व दिशाहीन हुये लोगों से कतई भी मुँह नहीं मोड़ना है बल्कि इनको सपा के शिकंजे से बाहर निकाल कर अपनी पार्टी में पुनः वापिस लाने का भी पूरा-पूरा प्रयास करना है। अन्य सभी हिन्दू समाज को भी अब फिर से बसपा में 2007 की तरह ही कैडर के जरिये जोड़ना है। बसपा अध्यक्ष ने कहा " दलितों में भी मेरी जाति को छोड़कर जो अन्य दलित समाज की जातियों के लोग हैं उन्हें भी इन पार्टियों के हिन्दुत्व से बाहर निकाल कर बसपा में जोड़ना है।"

उन्होने कहा "भाजपा ने इस चुनाव में एक सोची-समझी रणनीति व साजिश के तहत दुष्प्रचार करवाया है कि यूपी मे बसपा की सरकार नहीं बनने पर हम आपकी बहनजी को देश का राष्ट्रपति बनवा देंगे। इसीलिए आपको बीजेपी को सत्ता में आने देना चाहिये, जबकि मेरे लिए देश का राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है बल्कि इस बारे में मैं सपने तक में भी ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकती हूँ। इनको यह भी मालूम है कि बहुत पहले ही कांशीराम जी ने इनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और मैं तो उनके पदचिन्हों पर चलने वाली उनकी मजबूत शिष्या हूँ। " सुश्री मायावती ने कहा कि जब-जब भी यूपी के मुस्लिम समाज ने सपा को एकतरफा वोट दिया है तथा जोड़- तोड़ के आधार पर जब भी सपा सत्ता में आई है तब-तब यहाँ बीजेपी और भी ज्यादा मजबूत बनकर उभरी है, लेकिन बसपा जब यहाँ चुनाव में मजबूत होकर उभरी है तथा चार बार सरकार बनाई है तब-तब यहाँ बीजेपी काफी कमजोर हुई है तथा सत्ता से भी बाहर हुई है और यह सब होते हुये यहाँ मुस्लिम समाज ने भी देखा है। अब आगे इनको ऐसी कोई गलती नहीं करनी चाहिये जिससे बीजेपी को और भी ज्यादा मजबूती मिले।

उन्होने पार्टी कैडरों से कहा कि प्रदेश में बसपा को फिर से सत्ता में लाने के लिए यहाँ कदम-कदम पर सभी जातिवादी, पूँजीवादी व सामन्तवादी ताकतों से काफी कड़ा संघर्ष व सामना करना होगा और इसके लिए उन्होने फिर से अपनी कमर कस ली है। लोगों के हताश व निराश होने से यहाँ अपनी पार्टी का मूवमेन्ट व जनाधार आगे नही बढ़ सकता है तथा ना ही हमारी पार्टी यहाँ आगे सत्ता में भी आ सकती है बल्कि इसके लिए आप लोगों को अपने पूरे हिम्मत व हौसले से तथा पूरी ज़िद्द के साथ ही अपनी पार्टी की मूवमेन्ट को तथा जनाधार को भी आगे बढ़ाना है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा ने लगभग एक दर्जन छोटे-मोटे संगठनों व पार्टियों आदि से गठबन्धन करके यह चुनाव लड़ा है, लेकिन इसके बावजूद भी सपा सत्ता में आने से काफी दूर रह गई है। ऐसे में अब सपा कभी भी आगे यहाँ सत्ता में वापिस नहीं आ सकती है तथा ना ही यह पार्टी बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती है। सच्चाई तो यह है कि यू.पी. में सपा नहीं बल्कि बी.एस.पी. ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बीजेपी को सत्ता में आने से जरूर रोक सकती है जिसका बेस वोट व खासकर मेरी खुद की जाति का दलित वोट ऐसे हालातों में भी बिल्कुल नहीं भटका है तथा ना ही गुमराह हुआ है।

इससे पहले विधान सभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़ने वाले पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू लमाली ने एक बार फिर घर वापसी कर ली है। इसके साथ ही रविवार को बसपा ने भी आजमगढ़ सीट पर संभावित लोकसभा उपचुनाव में उनकी उम्मीदवारी घोषित कर दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती की अध्यक्षता में यहां संपन्न हुयी पार्टी की अहम बैठक में जमाली को प्रत्याशी बनाये जाने की घोषणा की गयी। मायावती ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की समीक्षा के लिये आज बसपा की उत्तर प्रदेश इकाई की बैठक बुलाई थी। इसमें पार्टी की भावी रणनीति की घोषणा के साथ जमाली की उम्मीदवारी भी घोषित की गयी। जमाली ने बसपा में अपनी वापसी की पुष्टि करते हुए यूनीवार्ता काे बताया कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मायावती के प्रति अपनी निष्ठा को बरकरार रखते हुए घर वापसी की है। उन्होंने कहा कि पार्टी की प्रदेश इकाई की बैठक में बसपा प्रमुख ने आजमगढ़ से उपचुनाव में उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। ज्ञात हो कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा आजमगढ़ लोकसभा सीट से बतौर सांसद इस्तीफा देने के कारण यह सीट रिक्त हुयी है और जल्द ही इस पर उपचुनाव होना है। अखिलेश ने मैनपुरी की करहल सीट से विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है।

गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जमाली बसपा के टिकट पर आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से विधायक चुने गये थे। उन्होंने 2022 में चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने की कोशिश की, मगर सपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के टिकट पर मुबारकपुर से चुनाव लड़ा। इस सीट पर वह 36 हजार से अधिक वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे। हालांकि वह अपनी जमानत बचाने वाले एआईएमआईएम के एकमात्र उम्मीदवार थे। इस बीच बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी नेताओं की बैठक में संगठन से संबंधित कुछ अहम घोषणायें करते हुए पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के लिये प्रमुख दिशा निर्देश भी जारी किये। बसपा की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय प्रभारी (नेशनल कोऑर्डिनेटर) बनाने का ऐलान किया है। इसके अलावा मायावती ने बसपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर के अपने पद पर बने रहने की घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी तीन राज्य प्रभारी (स्टेट कोऑर्डिनेटर) बनाने का फैसला किया है। इसके तहत मेरठ के पूर्व सांसद मुनकाद अली, आजमगढ़ के पूर्व विधान परिषद सदस्य डा विजय प्रताप और बुलंदशहर के राजकुमार गौतम को राज्य प्रभारी बनाया है। उन्होंने तीनों प्रभारियों को सभी 18 मंडलों में संगठन की सक्रिय गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर हर महीने बसपा अध्यक्ष को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। मायावती ने कहा कि वह पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय प्रभारी आकाश आनंद को बसपा की उप्र में राजनीतिक एवं संगठनात्मक गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट लेने के लिये प्रदेश के नियमित दौरे पर भेजती रहेंगी। ज्ञात हो कि बसपा का इस चुनाव में अब तक का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन रहा। पार्टी को मिले कुल मत प्रतिशत में गिरावट के साथ बसपा का महज एक उम्मीदवार ही विधानसभा चुनाव जीत सका।

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