Mathura: निकायकर्मियों को 16 वर्ष बाद मिलेगा एसीपी का लाभ
सेवानिवृत सफाईकर्मी विरमा देवी के तीन बार धरना देने के बाद भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिला था.
मथुरा: उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क नगर पंचायत कर्मियों को 16 वर्ष बाद एसीपी का भुगतान मिलेगा. वर्ष 08 के शासनादेश के बाद से आज तक किसी को इसका भुगतान नहीं हुआ. सेवानिवृत सफाईकर्मी विरमा देवी के तीन बार धरना देने के बाद भी उन्हें इसका लाभ नहीं मिला था.
नौ को विरमा देवी इसकी मांग को लेकर नगर पंचायत में अनशन पर बैठ गईं. चेयरमैन प्रभा देवी शर्मा ने विरमा के एसीपी भुगतान के लिए ईओ को निर्देश दिए. वहीं एसीपी निर्धारण समिति की रिपोर्ट पर पत्रावली पूर्ण की. उन्होंने शाम सभासदों की उपस्थिति में धरनारत विरमा देवी को उनके एसीपी भुगतान की पहली किस्त 1430 रुपये उनके खाते में भेज दिए. वहीं चेयरमैन व सभासदों ने विरमा देवी को माला दुपट्टा पहना व मिठाई खिलाकर 10 दिन से चल रहा धरना समाप्त कराया. उनके बाकी पैसे दूसरी किश्त के रूप में शीघ्र देने का आश्वासन दिया.
चेयरमैन प्रभा देवी शर्मा ने बताया कि कर्मचारी को संतोषजनक सेवा देने पर पूरे सेवाकाल में तीन बार एसीपी लाभ मिलता है. वर्ष 08 में शासनादेश के बाबजूद 16 वर्ष तक किसी कर्मचारी को इसका लाभ नहीं दिया. अब अन्य कर्मचारियों की सेवापुस्तिका पूर्ण करवाकर एसीपी सहित अन्य बकाया के अविलंब भुगतान के आदेश ईओ डॉ. कल्पना बाजपेई व स्टाफ को दिए है.
मथुरा संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी, महत्व बताया
अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर राजकीय संग्रहालय में प्रदर्शनी में जहां देश के प्रमुख संग्रहालयों को प्रदर्शित किया गया, वहीं मथुरा के राजकीय संग्रहालय की विशेषता एवं उसके महत्व पर मंथन हुआ.
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के प्रमुख दीप प्रज्वलन एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में अमरनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल वाजपेयी ने किया. मुख्य वक्ता डॉ. गिरिराज शर्मा ने विश्व के विभिन्न संग्रहालय और उनके महत्व के अलावा मथुरा संग्रहालय की स्थापना एवं मथुरा के जैन संग्रहालय की विशेषताओं के बारे में उपस्थित श्रोताओं को जानकारी दी. मुख्यअतिथि डॉ. वाजपेयी ने श्रोताओं को विश्व के प्रमुख संग्रहालयों एवं मथुरा म्यूजियम के बारे में बताते हुए कहा कि मथुरा म्यूजियम में मथुरा से ही प्राप्त हजारों मूर्तियां, सिक्के और कलाकृतियां हैं और यह सभी भग्नावशेष मथुरा से ही प्राप्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह सभी कलाकृतियां कहीं बाहर से नहीं लाई गई. यही कारण है कि मथुरा म्यूजियम को इस दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा म्यूजियम माना जाता है.