उत्तरप्रदेश | शहर में कई ऐसे बुजुर्ग हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद जनसेवा का कार्य कर रहे हैं. इनका कहना है कि उन्हें ऐसा करने से काफी सुकून मिलता है.
आयकर विभाग से सेवानिवृत्त जिले के आनंद बल्लभ खुल्बै 72 वर्ष की आयु में भी दिव्यांगों के उत्थान के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं. वह कानूनी और आर्थिक मामलों में सहयोग करते हैं. वह पैरा खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम कर रहे हैं. कोविड के समय से करीब 80 बच्चों के लिए संडे स्कूल का संचालन कर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. वह दिव्यांगों को रोजगार के लिए प्रमाणपत्र बनवाने में मदद करते हैं. उन्होंने अभी तक 40 दिव्यांगो को सूक्ष्म व्यापार करने के लिए आर्थिक सहायता की है.
अखिलेश मैंडवाल ने 300 युवतियों को रोजगार दिया स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त 68 वर्षीय अखिलेश मैंडवाल अपनी पत्नी अनुपमा सक्सेना के साथ मिलकर वंचित तबके की लड़कियों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. इस दंपति ने अपने इकलौते बेटे को सड़क दुर्घटना में खो दिया था. इसके बाद पति- पत्नी मिलकर दूसरों के बच्चों को अपना मानकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में जुट गए. पिछले करीब आठ सालों में इन्होंने करीब 300 लड़िकयों को ट्यूशन पढ़ाने के अलावा कोई न कोई वोकेशनल कोर्स कराकर उन्हें रोजगार दिलाया.