फोर्टिस अस्पताल ग्रेटर नोएडा में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर किया जागरूक, पीड़ित मरीजों को किया गया मोटिवेट

Update: 2022-11-03 11:40 GMT
नोएडा। फोर्टिस अस्पताल, ग्रेटर नोएडा में आज ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीतने वाली महिलाओं के सम्मान में एक अनोखा सपोर्ट ग्रुप इवेंट आयोजित किया और लोगों को इस बीमारी से होने वाली रिकवरी, इसके डायग्नोज और बचाव के बारे में जागरूक किया। इस सपोर्ट ग्रुप मीटिंग का मुख्य उद्देश्य ब्रेस्ट कैंसर मरीजों को मोटिवेट करना और इस लड़ाई में जीत चुके लोगों को उनके लिए प्रेरणा के तौर पर पेश करना था।
इस कार्यक्रम में ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ अपनी हिम्मत का लोहा मनवा चुकीं कई महिलाएं शामिल हुईं और उन्होंने अपनी बैटल के किस्से साझा किए। इन महिलाओं के ये किस्से निश्चित ही उनके लिए प्रेरणादायक साबित होंगे जो फिलहाल ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हैं। कार्यक्रम में 70 से ज्यादा लोग शामिल हुए जिनमें पेशंट और डॉक्टर्स दोनों ही शामिल थे. सपोर्ट ग्रुप के इस इवेंट में ग्रेटर नोएडा फोर्टिस के डॉक्टर शुभम गर्ग, डॉक्टर इशू गुप्ता, डॉक्टर रजत बजाज, डॉक्टर तृप्ति सक्सेना, डॉक्टर जलज बक्सी ने हिस्सा लिया।
हर कैंसर मरीज की अपनी एक कहानी होती है, और हर कैंसर सर्वाइवर सबको कुछ न कुछ सिखाता है। ऐसी ही एक महिला हैं मीनाक्षी मित्तल, जिन्होंने सपोर्ट ग्रुप का ये इवेंट अटेंड किया।
फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर शुभम गर्ग ने इस मौके पर कहा, ''जब मैंने पहली बार मीनाक्षी के चेकअप्स किए तो मैं ये सोचता रहा कि उन्हें कैसे बताऊं कि उनके शरीर में ब्रेस्ट कैंसर फैल गया है। उनके परिवार ने उन्हें सपोर्ट किया, मीनाक्षी का केस ट्यूमर बोर्ड में डिस्कस किया गया और ये फैसला किया गया कि पहले उनकी कीमोथेरेपी की जाए। उनके कीमोथेरेपी के 16 सेशन किए गए। इसके बाद कीमियो का रेस्पॉन्स देखते हुए ब्रेस्ट की शेप मेंटेन करने के लिए उनकी प्लास्टिक रिकंस्ट्रक्शन के साथ रेडिकल सर्जरी की गई। इस सर्जरी में ऑन्कोप्लास्टिक टीम शामिल थी, जिसने पीछे से टिश्यू की कटाई की और सर्जरी के बाद ब्रेस्ट को शेप दी। मीनाक्षी को पोस्ट-ऑपरेटिव रेडियोथेरेपी दी गई और अब सभी थेरेपी पूरी होने के बाद वो सामान्य जीवन गुजार रही हैं। उनका इलाज पूरा होने में करीब एक साल लग गया, लेकिन ये कारगर रहा क्योंकि अब वह आसान जिंदगी जी रही हैं।
ग्रेटर नोएडा फोर्टिस में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की कंसल्टेंट डॉक्टर इशू गुप्ता ने आगे बताया, ''जब किसी मरीज के अंदर कैंसर डाग्यनोज होता है तो ये उनके लिए शारीरिक से साथ मेंटल हेल्थ के लिए भी काफी मुश्किल रहता है. कैंसर का पता चलने पर मरीज के साथ-साथ उनके परिजन भी दबाव में आ जाता हैं। कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ना बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहता है क्योंकि इससे सिर्फ शरीर पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि दिमाग पर भी प्रभाव होता है और मायूसी, डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी दिक्कतें भी हो जाती हैं। लिहाजा, ये जरूरी है कि पेशंट का फिजिकली और इमोशनली, दोनों तरीके से ध्यान रखा जाए. आज यहां जो ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर इकट्ठा हुई हैं, ये सभी हमारे
लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। साथ ही ये सपोर्ट ग्रुप भले ही छोटा हो लेकिन जो महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के दर्द से गुजर रही हैं, उनकी हिम्मत बढ़ाने के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है।
फोर्टिस अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर जलज बक्सी ने कहा, ''हेरिडेटरी वाले मामलों के अलावा, गलत तरह की लाइफस्टाइल भी ब्रेस्ट कैंसर को काफी बढ़ा रही है और महिलाओं में स्तर कैंसर के केस काफी पाए जा रहे हैं। महिलाओं में होना वाला ये सबसे आम कैंसर है, और कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों में इसका दूसरा नंबर है। इलाज के एडवांस मेथड्स मौजूद हैं, लेकिन अवेयरनेस की कमी के चलते हालात ज्यादा बिगड़ रहे हैं। ऐसे में आम लोगों के लिए जागरुकता की काफी जरूरत है ताकि कैंसर का जल्द से जल्द पता लग सके और समय पर बेहतर किया जा सके। क्योंकि इलाज में किसी भी तरह की देरी से मरीज की स्थिति बिगड़ने के ही चांस रहते हैं। हालांकि, पहले ब्रेस्ट कैंसर के केस सिर्फ महिलाओं तक में ही सीमित थे, लेकिन अब पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोज हो रहा है।

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