Lucknow: ट्रामा सेंटर इन दिनों प्राइवेट एंबुलेंस चालकों और दलालों के कब्जे में

सूर्यास्त के साथ ही ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्थाएं बेपटरी हो जाती हैं

Update: 2024-06-29 07:34 GMT

लखनऊ: टूटती सांसों को बचाने के लिए बना जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर इन दिनों प्राइवेट एंबुलेंस चालकों और दलालों के कब्जे में है. सूर्यास्त के साथ ही ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्थाएं बेपटरी हो जाती हैं.

स्टाफ अपने में मस्त हो जाता है और प्राइवेट एंबुलेंस चालक तीमारदारों से पूरी रात मरीजों की सांसों का सौदा करते हैं. यहां आने वाले हर घायल व मरीज को महंगे इंजेक्शन की पर्ची थमाई जाती है.

गंभीर मरीजों का तत्काल राहत देने के लिए जिला अस्पताल में बनाए गए ट्रामा सेंटर में हमेशा से प्राइवेट एंबुलेंस चालक, निजी नर्सिंग होम और दवाओं के दलालों का बोलबाला रहा है. मरीजों और उनके तीमीरदारों का कहना है कि चंद कमीशन के लिए तैनात स्टाफ और डाक्टर मरीजों को रेफर करने से गुरेज नहीं करते हैं. लेकिन इन दिनों हालात और भी खराब हो गए हैं. सरकारी एंबुलेंस ट्रामा सेंटर में खड़ी ही रहती और प्राइवेट वाले तीमारदारों पर दबाव बनाकर मरीज को अपनी एंबुलेंस से लेकर चले जाते हैं. कुछ एक स्टाफ के लोग विरोध भी करते हैं लेकिन इन प्राइवेट चालकों और उनके मालिकों की दहशत ऐसी कि उन्हें चुप होना पड़ता है.

बाहर से दवा, इंजेक्शन मंगवाना गलत है. किसी मरीज को कहा जा रहा है तो तत्काल शिकायत करें कार्रवाई करुंगा. प्राइवेट एंबुलेंस की अस्पताल के अंदर इंट्री बैन है. यदि रात को यह आते हैं तो स्टाफ से भी जवाब लिया जाएगा.

डॉ. पीके सिंह, सीएमएस

पूरी रात लिखे जाते इंजेक्शन

रात को ट्रामा सेंटर पहुंचने वाले मरीजों के लिए बाहर के मेडिकल स्टोर से लाने के लिए इंजेक्शन लिखकर पर्ची थमा दी जाती है. अस्पताल में इंजेक्शन होने के बावजूद तीमारदारों से महंगा इंजेक्शन मंगाया जाता है. अस्पताल से जुड़े लोग बताते हैं कि ड्यूटी में तैनात स्टाफ का इंजेक्शन के बदले मेडिकल स्टोर वाले मोटा कमीशन देते हैं. यह इंजेक्शन मरीजों को बाहर दो हजार तक के मिलते हैं.

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