Lucknow: 42 दिन बाद भी खुले में घूम रहा बाघ, ग्रामीणों में डर

Update: 2025-01-14 11:09 GMT
Lucknow लखनऊ : महिलाबाद क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों में दहशत बरकरार है। इसका कारण कोई और नहीं बल्कि खुलेआम घूम रहा बाघ है। 42 दिन हो गए हैं, लेकिन आज भी वन विभाग की टीम बाघ को पकड़ने में नाकाम है। बाघ के डर से किसान फसलों की समय पर सिंचाई, निराई व रखवाली और मजदूर खेतों पर काम नहीं कर पा रहे हैं। कई किसानों की फसलें अन्ना मवेशी चर गए हैं। बाघ के पग चिह्न अब गांवों के आसपास भी मिलने लगे हैं। इससे ग्रामीणों में
डर और बढ़ गया है।
30 लाख से ज्यादा खर्च हो चुके खर्च
बाघ को पकड़ने के लिए प्रशासन काफी जद्दोजहद करता नजर आ रहा है। किसी तरह से बाघ को पकड़ लिया जाए, लेकिन बाघ बड़ी ही आसानी से लोगों और प्रशासन को चक्मा देता जा रहा है। बाघ के सिर्फ पैरों के निशान नजर आते हैं वह क्हा गायब हो जाता है कोई पता ही नहीं लगा पार है। इन सब में अब तक प्रशासन के 30 लाख से भी ज्यादा खर्च हो चुके हैं। जहां बाघ को पकड़ने के लिए हर वीआईपी इक्यूपमेंट का इस्तमाल किया जा रहा है। पीएसी तैनात की गई है। कांबिंग, ड्रोन कैमरे, ट्रैप कैमरे, कैचिंग केज, सीसीटीवी, पटाखे आदि सबका इस्तमाल हो रहा है, लेकिन बाघ का नामो निशान तक नहीं मिल रहा है। सारे पैतरे फेल होने के बाद अब दो विशेषज्ञ हथनियां और विशेषज्ञों के आने से बाघ को पकड़ने की उम्मीद जागी है।
पड़वा का शिकार कर निकल गया बाघ
रहमानखेड़ा में बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की 9 टीमें 42 दिन से तरह तरह के जतन कर रही हैं, लेकिन बाघ उनके पिंजरे में नहीं आ रहा है। अभी तक बाघ 13 जानवरों का शिकार कर चुका है। रविवार देर रात पड़वे को शिकार बनाया। सोमवार सुबह ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम को केवल पड़वा के अवशेष मिले। हथिनी सुलोचना और डायना के सहारे उलरापुर और मीठेनगर गांव के आसपास जंगल में गश्त भी काम नहीं आ रही है।
डीएफओ सितांशु पांडे ने बताया कि, रहमानखेड़ जोन-1, कृषि फॉर्म के पास मचान बनाकर पड़वा बांधा गया था। सोमवार तड़के करीब 3 बजे बाघ खूंटे से बंधे पड़वे का शिकार कर निकल गया। डीएफओ ने कहा कि, कोहरे के कारण बाघ को ट्रेस करने में दिक्कत आ रही है। कोहरे में कैमरे भी काम नहीं करते हैं, इससे बाघ की साफ तस्वीर नहीं मिल पा रही।
रोजाना मिल रहे है नए पग चिन्ह
ग्रामीणों ने बताया कि बाघ हलुवापुर, मंडौली, मीठेनगर, रहमतनगर, अलरापुर, साहिलामऊ,खालिसपुर, कटौली, दूगौली, कुसमौरा,रहमतनगर,अल्लूपुर और हबीबपुर गांव के पास भी पहुंच रहा है। इन गांवों के आसपास भी रोजाना नए पग चिह्न मिल रहे हैं। बाघ बेहता नाले के असाड़ा कुंड से पानी पीता है और शिकार के बाद इसी इलाके में प्रतीक्षा करता है।
12 गांवों में पहरा देंगे जवान
दुगौली, मीठे नगर, उलरापुर, रसूलपुर, बुधड़िया, मंडौली, खालिसपुर, सहिलामऊ, कटौली, हाफिज खेड़ा, कुसमौरा और हलुवापुर में स्थानीय पुलिस और पीएसी के जवान वन विभाग की टीम के साथ कॉम्बिंग करेंगे। गांवों में निगरानी भी करेंगे।
फसलें हो रही खराब
नई बस्ती गांव के किसान मूंगा ने बताया कि अकेले खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं। कई लोग साथ में भी जाते हैं तो शाम होते ही घर को लौटना पड़ता है। समय पर सिंचाई न होने से फसलें प्रभावित हो रही हैं। वन विभाग केवल बाघ को पकड़ने की खानापूर्ति कर रहा है। मीठेनगर के किसान भैया लाल ने बताया के खेतों में गोभी, मटर, गेहूं और सरसों की फसल है। रखवाली करने नहीं जा पा रहे हैं। इससे कारण जंगली सुअर, वन रोज और अन्ना मवेशियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है। करीब दो बीघा गेहूं की फसल तो नष्ट ही हो गई है। हबीबपुर के सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि एक महीने से सभी कार्य बाधित हैं। डर के कारण मजदूरी करने नहीं जा पा रहे हैं। रात में किसी की तबियत बिगड़ने पर अस्पताल भी नहीं ले जा सकते हैं। मोटी नीम पर दुकान करने वाले अशोक यादव ने बताया कि बाघ के डर से दुकान जल्दी बंद करनी पड़ती है। पहले रात 9 बजे तक दुकान खुलती थी, धंधा अच्छा हो जाता था। अब आमदनी घट गई है। मीठेनगर निवासी बड़क का कहना है कि, बच्चो की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अभी शीत कालीन अवकाश के कारण कक्षा ८ तक के स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चे ट्यूशन नहीं जा पा रहे हैं। 10वीं से 12वीं तक के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
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