Lucknow: सॉफ्टवेयर इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट हुआ, मामला दर्ज
तालकटोरा थाने में दर्ज हुआ मुकदमा
लखनऊ: पार्सल में ड्रग होने का आरोप मढ़ कर साफ्टवेयर इंजीनियर को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया. स्काइप एप के जरिए उन्हें वीडियो कॉल की गई. करीब दो घंटे तक डराने के बाद लगभग एक लाख रुपये जालसाजों ने ऐंठ लिए. यह आरोप लगाते हुए पीड़ित ने तालकटोरा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है.
कोरियर से भेजे गए पार्सल में मिली है ड्रग्स: राजाजीपुरम निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर अविनाश श्रीवास्तव के मुताबिक अनजान नम्बर से उन्हें कॉल की गई. फोन करने वाले ने फेडेक्स कोरियर कम्पनी से होने का दावा किया. उसने बताया कि अविनाश का एक पार्सल रिर्टन आया है. जिसमें एमडीएमए ड्रग है. यह पार्सल मुम्बई से ताइवान भेजा गया था. कोरियर कर्मी की बात सुन कर अविनाश घबरा गए. उन्होंने पार्सल नहीं भेजने की बात कही. जिस पर ठग ने मुम्बई साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा. अविनाश ने लखनऊ से मुम्बई जाने में असमर्थता जताई. जिस पर ठग ने कॉल ऑनलाइन साइबर क्राइम को ट्रांसफर करने की बात कही.
वीडियो कॉल कर धमकाया, हड़प लिए एक लाख: कॉल कनेक्ट होने पर जालसाजों ने एनसीबी मुम्बई अधिकारी के तौर पर परिचय दिया. अविनाश को बताया गया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर ज्वाइंट अकाउंट खोले गए हैं. जिनसे मनी लांड्रिंग की जा रही है. अविनाश ने अकाउंट खोलने की बात से इनकार किया. जिसके बाद उन्हें वैरिफिकेशन के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर एक लाख रुपये खाते में ट्रांसफर कराए गए.
पहले भी हुईं डिजिटल अरेस्ट की वारदात
● मरीन इंजीनियर एके सिंह को दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर हड़पे 84 लाख
● पीजीआई में तैनात डॉ. रुचिका टण्डन को डिजिटल अरेस्ट कर दो करोड़ 81 लाख हड़पे
● गोमतीनगर के उमेश चंद्र से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 70 लाख की ठगी
● फर्जी एसपी ने युवती को डिजिटल अरेस्ट कर 70 हजार ऐंठे
● कवि नरेश सक्सेना को डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने शेर सुने
● जेल भेजने की धमकी देकर शिक्षिका को किया गया था डिजिटल अरेस्ट
कॉल आने पर घबराएं नहीं
● सीबीआई, ईडी, कस्टम या पुलिस वीडियो काल पर गिरफ्तार नहीं करती. काल आए तो घबराए नहीं.
● कुछ समय लें और अपने परिजनों से जानकारी जरूर साझा करें.
● व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें जैसे पता, सामाजिक सुरक्षा संख्या, या वित्तीय विवरण न दें.
● पहचान मांगें, कॉल करने वाले का नाम, बैज नंबर और जिस थाने से वे हैं, वह पूछें, असली पुलिस अधिकारी यह जानकारी देंगे.
● पुष्टि करें, फोन काटकर स्थानीय पुलिस स्टेशन पर कॉल करें.