Lucknow: उत्तर प्रदेश बीजेपी में अंदरूनी कलह की खबरें सामने आई

चुनाव के नतीजों पर यूपी में पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट पर बीजेपी आलाकमान ने चर्चा की

Update: 2024-07-18 03:26 GMT

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी में अंदरूनी कलह की खबरें सामने आई हैं. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक पार्टी नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है. अब 2024 के चुनाव के नतीजों पर यूपी में पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट पर बीजेपी आलाकमान ने चर्चा की है.

सूत्रों के अनुसार, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव नतीजों पर यूपी की 80 सीटों पर पार्टी के 40 हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत और फीडबैक के आधार पर 15 पेज की रिपोर्ट तैयार की है. पिछले दो दिनों में उन्होंने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट पर आलाकमान से विस्तृत चर्चा भी की गई है.

पार्टी के वोट प्रतिशत में आई 8% की कमी

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी 6 क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में पार्टी के वोट शेयर में कम से कम 8 प्रतिशत की कमी आई है. पार्टी के अपने आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम और काशी क्षेत्र में पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया. यहां उसे 28 में से सिर्फ 8 सीटें मिलीं. ब्रज में उसे 13 में से 8 सीटें मिलीं. गोरखपुर में पार्टी को 13 में से सिर्फ 6 सीटें मिलीं, जबकि अवध में उसे 16 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं हैं. कानपुर-बुंदेलखंड में बीजेपी अपनी मौजूदा सीटें वापस पाने में विफल रही है. इस क्षेत्र में बीजेपी को 10 में से सिर्फ 4 सीटें मिलीं हैं.

ये हैं यूपी में हार की वजह?

चौधरी द्वारा पीएम मोदी और गृह मंत्री को सौंपी गई इंटरनल रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए हैं, जिसमें अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी, सरकार के प्रति कार्यकर्ताओं का असंतोष, पिछले 6 साल में सरकारी नौकरियों के लीक हुए पेपर मुख्य वजह हैं.- राज्य सरकार में संविदा कर्मियों की भर्ती में सामान्य वर्ग के लोगों को प्राथमिकता मिलने से विपक्ष के आरक्षण खत्म करने जैसे मुद्दे को बल मिला है.- राजपूतों समाज की पार्टी से नाराजगी.- संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान.- जल्दी टिकट वितरण भी एक कारण है.- 6 और 7वें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं के जुनून में कमी आना.- सरकारी अधिकारियों में ओल्ड पेंशन मुद्दा हावी रहा.- अग्निवीर भी चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया.- प्रदेश में अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी.- सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष.- पिछले 6 साल में लगातार सरकारी नौकरियों के पेपर लीक होना.

वोटर लिस्ट में काटे गए कोर वोटरों के नाम

पार्टी का मानना है निचले स्तर पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों द्वारा बीजेपी के कोर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए हैं. पार्टी की रिपोर्ट में कहा गया हैं कि लगभग सभी सीटों पर 30 हजार से 40 हजार पार्टी के कोर वोटर के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए.

OBC के गैर यादव वोट में आई कमी

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस चुनाव में गैर यादव ओबीसी यानी कुर्मी, कोरी, मौर्य, शाक्य और लोध जातियों के मिलने वाले वोट प्रतिशत में कमी आई है. साथ ही दावा किया गया है कि बसपा के कोर वोट शेयर में 10 प्रतिशत की कमी आई और 2019 की तुलना में पार्टी को दलितों का एक तिहाई वोट ही मिल पाया है. बीएसपी का कोर वोटर जाटव और 2014 से बीजेपी को मिलने वाले खटीक और पासी समाज के वोट शेयर में भी अच्छी खासी कमी आई है. इसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मिला.

रिपोर्ट में कहा गया है पार्टी इन सभी कारणों को समय रहते ठीक कर ले और सरकारी अधिकारियों, प्रशासन में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार होगा तो प्रदेश में आगामी 10 सीटों पर उपचुनाव हों या नगर निगम, निकाय या जिला पंचायत और ग्राम पंचायत चुनाव में पार्टी को फायदा मिलेगा.

सीएम योगी से भी होगी चर्चा

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक समेत पार्टी अन्य वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाकर इस रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी.बता दें कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं. जबकि 2019 में उसे पांच सीटें मिली थीं. बीजेपी 62 सीटों से घटकर 33 सीट पर आ गई है.

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