Lucknow: आवारा जानवर के आतंक से 543 से ज्यादा हादसे हुए
शहरी क्षेत्र में इस अवधि में 34 लोगों की जान गई
लखनऊ: शहर में आवारा जानवर मौत बनकर सड़कों पर घूम रहे हैं. इसमें गोवंशीय जानवरों के अलावा कुत्ते, बंदर और बिल्लियां तक शामिल हैं. हकीकत यह है कि इसी ‘आवारा आतंक’ के कारण 18 माह में 543 हादसे हुए. सिर्फ शहरी क्षेत्र में इस अवधि में 34 लोगों की जान गई. इसमें लोग ऐसे थे जिन्होंने अस्पतालों में इलाज के दौरान दम तोड़ा. डेढ़ साल में आवारा जानवरों के कारण 213 लोगों की हड्डी टूटी जबकि 339 लोग अस्पतालों में पहुंचे.
परिजनों का दर्द आखिर कौन समझे इन जानवरों की वजह से जिनकी जान गई है उनके परिजनों के लिए कोई राहत नहीं मिलती. उनका दर्द भी समझने कोई सरकारी अमला नहीं गया. किसी ने पिता को खोया है तो किसी ने मां को. किसी की कलाई सूनी हुई है तो किसी का सिंदूर उजड़ा है. मगर ऐसी घटनाओं की चिंता किसे है? कई परिवारों के सदस्य आज तक भी सांड़ के हमले के बाद बिस्तर से उठ नहीं पाए. एक सिपाही का तो इलाज पूरे नौ माह चला. कुछ परिवारों के मुखिया तो आज तक कोई काम करने योग्य नहीं हैं. उनके घर का खर्च अब कौन चलाए? किसी की बेटी ने पढ़ाई छोड़कर दुकानों में काम के जरिए कमाई की सोची. खबर के साथ दिए गए आंकड़े आवारा आतंक पर अंकुश की कलई खोल रहे हैं.