Lucknow: केजीएमयू का विस्तार भूमि स्वामित्व के विवाद में अटका

जिला प्रशासन के पास मौजूद दस्तावेजों से जमीन के मालिकों के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं

Update: 2024-06-30 08:28 GMT

लखनऊ: किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) का विस्तार जमीन के झमेले में फंस गया है. इसके विस्तार के लिए जो जमीन चिन्हित की गई थी, उसके मालिकाना हक को लेकर मामला फंस गया है. जिला प्रशासन के पास मौजूद दस्तावेजों से जमीन के मालिकों के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. शिक्षा विभाग ने इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण, नगर निगम से कागज मांगे हैं ताकि मामला सुलझाकर केजीएमयू विस्तार की अड़चनें दूर कराई जा सकें.

केजीएमयू का विस्तार होना है. इसके लिए सिटी स्टेशन के सामने स्थित कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन, राजकीय जुबिली कॉलेज के हॉस्टल, बीएसए, डीआईओएस कार्यालय की जमीन ली जानी है. मगर जमीन के मालिकाना हक की स्थिति स्पष्ट नहीं है. इन सरकारी विभागों के कार्यालयों की जमीन के पूरे दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं. राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के छात्रावास, कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन की जमीन की स्थिति नहीं साफ हो पा रही है. मोहल्ला अगामीर ड्योढी के खसरा 188 पर कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन बना है. 1862 खसरे में यह भूमि निजी संपत्ति है. जो नवाब मोहसुनुदौला वा नवाब मलका जहां साहिब के नाम दर्ज है. प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक संपत्ति रजिस्टर 1886 में खसरा 188 का उल्लेख नहीं है. संपत्ति रजिस्टर 1907 में खसरा 188 की मामूली भूमि नजूल में दर्ज है. खसरा 188 का क्षेत्रफल 33 बीघे, 5 विस्वा विस्वांसी है. राजकीय जुबली इंटर कॉलेज का छात्रावास मोहल्ला खलाबक बाग गोलागंज के बंदोबस्त 1862 के खसरा संख्या 40, 41 और 42 भाग पर बना है. यह 1862 खसरे में प्राइवेट संपत्ति के रूप में दर्ज है. 1907 के संपत्ति रजिस्टर में यह भूमि भी नजूल के रूप में दर्ज है. इसे कई लोगों को कृषि के लिए पट्टे पर दिए जाने का उल्लेख है.

नगर निगम से मांगे गए अभिलेख: केजीएमयू का विस्तार सरकार की प्राथमिकताओं में है. लगातार बैठकें चल रही हैं. माध्यमिक शिक्षा विभाग ने लखनऊ नगर निगम से जमीन के दस्तावेज और हाउस-वाटर टैक्स की भी रिपोर्ट मांगी है. जिला विद्यालय निरीक्षक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से भी कुछ अभिलेख मांगे गए हैं. पूछा गया है कि राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज, छात्रावास और सीटीई को किस प्रकार यह जमीन मिली है. इनके स्वामित्व संबंधी अभिलेख भी मांगे गए हैं.

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