Lucknow: बादलों से जुड़ी आकाशीय घटनाओं में बड़ा बदलाव देखा गया

इस बार इतने बिखरे बादल कि गरजना ही भूल गए

Update: 2024-09-17 07:36 GMT

लखनऊ: इस मानसून में बादल इस कदर बिखरे कि गरजना ही भूल गए. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बादलों से जुड़ी आकाशीय घटनाओं में बड़ा बदलाव देखा गया है. अध्ययन में पता चला है कि इस मानसून में बादलों की लंबाई सिमट कर 40-60 किमी तक रह गई है. ऐसा देश के कई हिस्सों में दिखा है. इससे पहले कभी-कभार होने वाली पॉकेट रेन पहली बार पूरे मानसून में दिखी है. इसी कारण बादल गरजने की जगह खामोश हैं.

जून से अब तक (30 ) विशेषकर उत्तर प्रदेश में 11 फीसदी बारिश कम हुई है. विशेषज्ञों में बारिश में कमी से उतनी चिंता नहीं है, जितनी बादलों के आकार और स्वभाव में बदलाव से है. पूरे मानसून में दो दिन ही पूरे शहर में समान बारिश हुई है. शेष दिनों में पॉकेट रेन (खंड वर्षा) ही हुई है.

ऐसे में खूब गरजते हैं बादल विशेषज्ञ बताते हैं कि जब बादलों का निगेटिव चार्ज (ऋणात्मक आवेश) वाला टुकड़ा पॉजिटिव चार्ज (धनात्मक आवेश) वाले टुकड़े से टकराए, तो तेज मेघ गर्जन होता है. इसी से आकाशीय बिजली भी उत्पन्न होती है. गर्जना के अन्य कारणों में ठंडी हवा और गर्म हवा के बीच टकराव से पूरी पंक्ति तैयार होती है, तो वह थंडर में बदल जाता है. इसमें लगातार खौफनाक गर्जना सुनाई देती है. घने बादल कम हैं. थंडर स्टॉर्म जैसी स्थितियां नहीं बन पा रही हैं. जिससे जिले में मूसलाधार बारिश नहीं हो रही है, हो रही है तो वह भी टूकड़ों में, यह दस या पांच किमी, के अंतराल में हो रही है. कहीं तो बूंदाबांदी ही हो रही है.

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