औषधीय पौधों के तेल से चमकी किस्मत

Update: 2022-12-11 09:17 GMT

बरेली न्यूज़:  जरूरी नहीं जीवन में हम जो सोचें वो हो जाए, लेकिन कई बार हालात जो करवा देते हैं वो हमारे सोचे गए से कहीं ज्यादा बेहतर हो सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ फरीदपुर ब्लाक ग्राम भगवानपुर कुंदन निवासी मनोज शर्मा के साथ। उन्होंने तमाम डिग्रियां हासिल करने के साथ वकालत की पढ़ाई भी कर ली। सोचा था कि एक काबिल वकील बनकर दूसरों के मुकदमे लड़ेंगे, मगर जिंदगी की अदालत को कुछ और ही मंजूर था। मनोज को वकालत की प्रैक्टिस छोड़ गांव लौटना पड़ा। किसान परिवार से थे, मगर खेती किसानी करने के बारे में कभी सोचा नहीं फिर भी आजीविका के लिए खेती करने लगे। कहते हैं न कि डिग्रियां कभी बेकार नहीं जातीं। पढ़ाई लिखाई मन मस्तिष्क में नवाचार को जन्म देती है।

पारंपरिक खेती के साथ-साथ मनोज को औषधीय पौधों की खेती और उनसे निकलने वाले तेल की बाजार में मांग के बारे में पता चला, फिर क्या था, उन्होंने अलग-अलग किस्म के औषधीय पौधों की खेती शुरू कर डेस्टीलेशन प्लांट लगाकर उनका तेल निकालना शुरू किया। आज इसी तेल ने उनकी किस्मत को भी चमका दिया है।

मनोज बताते हैं कि उन्होंने साल 2015 में औषधीय पौधों की खेती शुरू की थी। आज वह पामारोजा, स्टीविया ( तुलसी), जंगली गेंदा, लेमन ग्रास (नींबू घास), कैमोमाइल जैसे औषधीय पौधों की खेती 12 से 15 एकड़ में कर रहे हैं। इन पौधों और उनके फूलों से तेल निकालने के लिए उन्होंने सबसे पहले एक डेस्टीलेशन प्लांट लगाया। जिसमें लगभग सात लाख रुपये का खर्च आया।

औषधीय पौधों की खेती और उनका तेल निकालने से पहले वह केवल पारंपरिक खेती किया करते थे, लेकिन उनकी मुलाकात औषधी एवं सुगंधित पौधा संस्थान लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर डा. संजय कुमार से हुई तो औषधीय पौधों की खेती के बारे में पता चला। इन पौधों से निकलने वाले तेल की बाजार में खूब डिमांड है। इन तेलों का इस्तेमाल अलग-अलग दवाएं, इत्र व कई प्रकार के उत्पाद बनाने में किया जाता है।

मनोज अपने प्लांट पर तैयार किये गए तेल की आपूर्ति कन्नौज, कानपुर, मुंबई, असम आदि स्थानों पर कर रहे हैं। उनके साथ आठ से 10 लोग काम करते हैं। मनोज का कहना है कि अभी उनके पास माइल्ड स्टील का डेस्टीलेशन प्लांट है। शासन प्रशासन अगर स्टेनलेस स्टील का प्लांट लगाने में मदद करे तो तेल की गुणवत्ता को और बेहतर कर सकते हैं।

सालना 15 लाख रुपये तक कमा रहे मुनाफा: मनोज बताते हैं कि पामारोजा का तेल सालाना 90 किलो प्रति एकड़ निकलता है, यह तेल बाजार में 2100 से 2200 रुपये प्रति किलो बिकता है। जंगली गेंदा साल में चार माह की फसल है, जिससे हर चार माह में 15 से 18 किलो प्रति एकड़ तेल निकलता है। जिसकी कीमत 8000 रुपये प्रति किलो है। लेमन ग्रास का तेल 1 क्विंटल से लेकर 20 किलो प्रति एकड़ तक निकल आता है, इसका तेल 1600 से 1700 रुपये प्रति किलो बिकता है। कैमोमाइल का तेल प्रति एकड़ तीन से चार किलो निकलता है। बाजार में इसकी कीमत 25 हजार रुपये प्रति किलो है। मनोज की माने तो उनको सालाना मुनाफा 12 से 15 लाख रुपये तक होता है।

पिता की मौत के बाद छोड़ दिया वकालत का इरादा: मनोज की उम्र 43 वर्ष है। उन्होंने अपनी पढ़ाई साल 2004 में पूरी कर ली थी। वह गणित में बीएससी, प्राचीन इतिहास में एमए भी हैं। बरेली कालेज से वकालत की पढ़ाई की और इग्नू से एमसीए की भी डिग्री हासिल की। वकालत की प्रैक्टिस कर रहे थे कि इसी बीच पिता राजवीर शर्मा की दोनों किडनियां खराब हो गईं। साल 2008 में पिता के निधन के बाद वकालत का इरादा छोड़ खेती करने का फैसला लिया। वह आज भी करीब 10 एकड़ में पारंपरिक खेती कर रहे हैं। जिससे अलग आय होती है। औषधीय पौधों की खेती में आने वाली चुनौती के बारे में वह बताते हैं कि फसल को पानी से बचाना जरूरी है।

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