चार साल बाद लिविंग डोनर प्रत्यारोपण हुआ शुरू, मां ने गुर्दा देकर बेटे को दी नई जिंदगी

Update: 2022-11-29 13:53 GMT

लखनऊ: उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क केजीएमयू में चार साल के इंतजार के बाद लिविंग डोनर गुर्दा प्रत्यारोपण (जीवित व्यक्ति से अंग लेकर प्रत्यारोपित करना) शुरू हो गया है. मां ने गुर्दा देकर बेटे को नई जिंदगी दी. डॉक्टरों की टीम ने करीब छह घंटे ऑपरेशन के बाद सफल गुर्दा प्रत्यारोपण किया. हरदोई स्थित संडीला निवासी 21 वर्षीय युवक को गुर्दा संबंधी बीमारी थी. केजीएमयू नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में पहुंचे मरीज को जांच के बाद ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई गई. 49 वर्षीय मां ने बेटे की जिंदगी के लिए गुर्दा दान करने का फैसला किया. छह घंटे चला ऑपरेशन प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि शताब्दी फेज-1 में दो अलग-अलग ऑपरेशन थिएटर में एक साथ मरीज व डोनर को ले जाया गया. पांच घंटे ऑपरेशन की प्रक्रिया चली. शाम को मरीज व डोनर को होश आ गया. केजीएमयू में 2016 से गुर्दा प्रत्यारोपण की कवायद शुरू की गई थी. पर इकलौते नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. संत पांडेय ने 2018 में इस्तीफा दे दिया. इससे योजना को झटका लगा. अभी केजीएमयू में ब्रेन डेड मरीज से गुर्दा लेकर दूसरे में प्रत्यारोपित किया है. ऑपरेशन टीम सीएमएस व यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसएन शंखवार, नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह, डॉ. लक्ष्य मेधावी, डॉ. अपुल गोयल आदि शामिल हुए.

ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में लगी पैथोजन रीडक्शन मशीन के माध्यम से खून को विसंक्रमित किया गया. विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि विसंक्रमित खून के इस्तेमाल से प्रत्यारोपण की सफलता दर में वृद्धि की उम्मीद बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि यह मशीन हाल ही में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में लगाई गई है.

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