उनवल: भगवान शिव ने जय सच्चिदानंद जग पावन कहते हुए भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को प्रणाम किया किन्तु माता सती ने भगवान के परब्रह्मस्वरूप पर संदेह किया था और माता सीता के रूप में भगवान की परीक्षा ली थी। जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने माता सती का परित्याग किया था। इतना ही नहीं माता सती ने सोलह बिंदुओं राम ब्रह्म नहीं, सत, चित, आनंद, परधाम, सुंदरता को देख कर निमग्न, व्यापकता, नर, अभेद, चिंता, जग पावन, मनोज, नसावन, अंतर्यामी होने पर संदेह किया था। जिसके निवारण के लिए भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में भगवान श्रीराम के 32 चरित्र एवं गुणों से संदेह का निवारण किया है।
उनवल झारखंडेश्वर महादेव मंदिर के निकट चल रही रामकथा के तीसरे दिन तत्व ज्ञान और भगवान श्रीराम की बाल लीला, विवाह लीला, वन लीला, रण लीला, राज्य लीला की व्याख्या करते हुए व्यास पीठ से तुलसी पीठाधीश्वर रामानंदाचार्य जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए बताया कि निलांभुजष्यामलकोमलांग्म श्लोक में पांच लीलाओं का वर्णन है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि अपने 8वें जन्मदिवस पर 9 घंटे पूरी रामायण सुनाई। कथा में संचालन आचार्य घनश्याम मिश्रा ने किया।
उक्त कथा के अवसर पर धनेश्वर मणि त्रिपाठी, सुशील, बालक दास, अरुण कुमार सिंह (एसपी साउथ), अनिल कुमार सिंह (क्षेत्रा अधिकारी खजनी), संजय मिश्रा (एस ओ खजनी), वृजकिशोर उर्फ गुलाब त्रिपाठी, अजय शंकर त्रिपाठी, शिवाकांत ओझा, रत्नेश ओझा, राना दिनेश प्रताप सिंह (ब्लॉक प्रमुख बस्ती) वृज्यानंद, संतोष शुक्ला, राजू सिंह, अशोक, धनराज, चंद्रप्रकाश उर्फ फरसा बाबा, शशांक द्विवेदी, राम चंद्र त्रिपाठी, परमहंस त्रिपाठी, अंबरिश, बुद्धिसागर, मोनू दुबे, अंकित, जुबोध उपाध्याय, इत्यादि लोग उपस्थित होकर आरती किए।