पड़ी मिली शराब की बोतल और अन्य सामग्री, जिम्मेदार कौन

Update: 2022-12-20 11:36 GMT

मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले रैन बसेरों को लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये थे, लेकिन नगर निगम के अधिकारी रैन बसेरों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। 'जनवाणी' की टीम ने रैन बसेरों का की हालत को देखा और कैमरे में कैद कर लिया। रैन बसेरों की तस्वीर जुदा है। कहने को हालात सुधर गए हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम ने लगता है नहीं सुधरने की कसम खा ली है। मुख्यमंत्री के आदेशों की भी अवेलना करने में नगर निगम अधिकारी पीछे नहीं है। वर्तमान में बच्चा पार्क पर एक रैन बसेरा हैं। इसकी हालत आप देखेंगे तो चौक जाएंगे। रैन बसेरा पर कोई सुविधा नहीं हैं। वैसे तो नगर निगम प्रत्येक वर्ष रैन बसेरों के लिए बेडशीट, कंबल आदि सामान नया खरीदने के लिए बजट रखता है, लेकिन यह सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ाये जा रहे हैं। धरातल पर बेडशीट और कंबल नए-नहीं हैं। तस्वीर में स्पष्ट है कि रैन बसेरा जो कंबल और बेडशीट दी गई है, वह पुरानी है।

देखने से लगता है कि कंबल और बेडशंीट को ठीक से धुलाई भी नहीं कराई गई । यह एक रैन बसेरा नहीं है, बल्कि शहर में बने ज्यादातर रैन बसेरों की हालत भी कुछ वैसी ही है। इनको दुरुस्त रखने की कोई व्यवस्था नगर निगम ने नहीं की है। 'जनवाणी' फोटो जर्नलिस्ट ने शहर के रैन बसेरों को फोकस करते हुए कुछ तस्वीरें कैमरे में कैद की। एक रैन बसेरे पर तो शराब की बोतल और कुछ आपत्तिजनक सामग्री भी पड़ी हुई मिली। यह शराब की बोतल लेकर कैसे एंट्री करने दी? यह बड़ा सवाल हैं। यहां पर चौकीदार भी तैनात है और पूरा स्टाफ भी नगर निगम का, लेकिन क्या इनकी चेकिंग नहीं की जाती हैं। शराब की बोतल के साथ इनको कैसे एंट्री दे दी जाती हैं। इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? रैन बसेरे गरीबों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चालू किये हैं। उनकी हालत सुधारने के भी आदेश दिये गए हैं। फिर भी नगर निगम के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया।

कागजों में रैन बसेरे चालू कर दिये गए, लेकिन चालू है, सुविधा कुछ भी नहीं हैं। जो लोग फुटपाथ पर सोते हैं, उनको रैन बसेरों तक लाया जाता हैं तथा उनको यहां पर विश्राम करने के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रही हैं। बेडशीट नई होनी चाहिए। पुरानी बेडशीट को नया रूप दे दिया जाता हैं तथा कागजी पेट भरकर खानापूर्ति कर दी जाती है,

देखने के बाद तो ऐसा ही लग रहा हैं। ऐसा तब है जब नगरायुक्त अमित पाल शर्मा भी दौरा कर चुके हैं, लेकिन हालात फिर भी नहीं सुधरे हैं। इससे स्पष्ट है कि नगरायुक्त का या तो आदेश विभाग के कर्मचारी नहीं मान रहे है या फिर जानबूझकर घालमेल कर रहे हैं।

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