बरेली में दो साल से फाइलों में ही दौड़ रही लाइट मेट्रो

कार्यदायी एजेंसी को डेटा देने में सरकारी विभाग पीछे रहे.

Update: 2024-05-03 06:42 GMT

बरेली: बरेली शहर को स्मार्ट का तमगा मिल गया है. तमाम विकास के काम भी हुए. दिल्ली, लखनऊ की तर्ज पर शहर में लाइट मेट्रो के संचालन के सपने दिखाए गए. लाइट मेट्रो को धरातल पर उतारने के लिए तमाम तरह से सर्वे किए गए. कार्यदायी एजेंसी राइट्स का चयन किया गया. पहले चरण में कई रूट तय हुए लेकिन फिजिबिलिटी रिपोर्ट के बाद यह प्लान बदलते रहे. कार्यदायी एजेंसी को डेटा देने में सरकारी विभाग पीछे रहे.

शहरी जीवन स्तर को सुधारने और ट्रैफिक से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए बरेली में लाइट मेट्रो परियोजना के तहत ब्लू प्रिंट तैयार किया गया. शासन ने मेट्रो के लिए जाल बिछाने का जिम्मा राइट्स कंपनी को दिया था. कंपनी ने रूट के लिए सर्वे शुरू किया था. सर्वे के बाद ही रूट और कुल कितने स्टेशन बनेंगे यह तय होना था. बरेली जंक्शन से लेकर एयरपोर्ट तक दो रूट तय हुए थे.

पहले कॉरिडोर में बरेली जंक्शन से चौकी चौराहा, सेटेलाइट, रुहेलखंड, यूनिवर्सिटी होते हुए फनसिटी तक लाइट मेट्रो को दौड़ाने की रूपरेखा बनी.

दूसरा कॉरिडोर चौकी चौराहे से कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, डीडीपुरम होते हुए आईवीआरआई रोड तक बनाया गया. लाइट मेट्रो परियोजना में शहर के मुख्य प्वाइंट 300 बेड हॉस्पिटल, कर्मचारी नगर मिनी बाईपास, सुभाषनगर, किला चौराहा, कुदेशिया फाटक, इज्जतनगर, रेलवे स्टेशन को शामिल करने पर मंथन हुआ. कंसल्टेंट्स राइट्स के द्वारा पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन किया था.

शुरुआत में शासन ने बरेली में लाइट मेट्रो संचालन के लिए प्रोजेक्ट किया था मंजूर

● फिजिबिलिटी रिपोर्ट ओके होने के बावजूद तय नहीं हुआ रूट प्लान

● फर्स्ट फेज में तीन रूटों पर लाइट मेट्रो के संचालन का है प्रस्ताव

नाथ मंदिर कॉरिडोर को भी किया गया है शामिल: नाथ मंदिर कॉरिडोर में बरेली के अलखनाथ, मढ़ीनाथ, तपेश्वर नाथ, धोपेश्वर नाथ, पशुपतिनाथ, बनखंडी नाथ, त्रिवटी नाथ मंदिर को जोड़ते हुए नाथ मंदिर कॉरिडोर बनाए जाने का प्रस्ताव सिटी डेवलपमेंट प्लान में दिया गया था. प्लान में कंसलटेंट एजेंसी ने नाथ सर्किट में बस संचालन में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं पर विचार नहीं किया था. अफसरों ने इस पर नाथ मंदिर कॉरिडोर को लाइट मेट्रो स्टेशन से भी कवर करने के लिए निर्देश दिए थे.

महानगर का मोबिलिटी प्लान नहीं हुआ पूरा: राइट्स ने नगर निगम, स्मार्ट सिटी कंपनी की मदद से महानगर का मोबिलिटी प्लान तैयार करने का खाका बनाया. राइट्स महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था का भी सर्वे कर चुकी है. प्रोजेक्ट को धरातल पर उताने के लिए डेटा पूरा नहीं हो पाया. इस वजह से प्रोजेक्ट आचार संहिता लगने के बाद अटक गया. अब चुनाव के बाद ही इस प्रोजेक्ट पर काम होगा.

पहले मोनो रेल को मंजूरी फिर आ गई लाइट मेट्रो: बरसों पहले शहर को मोनो रेल की सौगात देने के सपने दिखाए गए थे. वह साकार होने के कगार पर भी पहुंच गया था लेकिन आबादी के मामले में शहर मात खा गया. क्योंकि उस समय बरेली शहर की आबादी 10 लाख से कम थी. बीडीए अफसरों का कहना है कि मोनो रेल का प्रोजेक्ट बहुत पहले का था, मेट्रो प्रोजेक्ट भी काफी महंगा होने की वजह से इसे आगे नहीं बढ़ाया गया.

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