एक्सप्रेस-वे पर कार की टक्कर से तेंदुए की मौत, वन विभाग फिर उलझा मेरे-तेरे में

Update: 2023-01-18 09:11 GMT

मेरठ: मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार शाम कार की टक्कर में तेंदुआ मारा गया। एक्सप्रेस-वे पर टोल प्लाजा के पास यह दुर्घटना हुई है। टोल के पास से गुजरती बुलोरो कार के आगे अचानक से नर तेंदुआ उछलकर आया कार की स्पीड तेज होने और वाहनों का दबाव होने के कारण अचानक तेंदुए को कार की टक्कर लगी और तेंदुआ हवा में उछल गया। मौके पर ही तेंदुए की मौत हो गई। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। उधर, डीएफओ ने कहा है कि ये हादसा गाजियाबाद की सीमा में हुआ हैं, जहां मेरठ से कोई लेना देना नहीं हैं।

राहगीरों ने इसकी सूचना क्षेत्रीय पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने वन विभाग की टीम को सूचना दी। वन विभाग की ओर से तेंदुए को मोदीनगर वन रेंज में लाया गया है। अधिकारियों की मानें तो सड़क पार करते समय तेजगति से आ रहे वाहन की टक्कर से उसकी मौत हुई है। बुधवार को मोदीनगर रेंज में तेंदुए का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। गौर करने वाली बात ये है कि एक्सीडेंट में मारा गया तेंदुआ मेरठ का माना जा रहा है। पिछले 10 दिनों से जो तेंदुआ मेरठ में लगातार घूम रहा था।

वन विभाग उसे पकड़ने में नाकाम साबित हो रहा था। माना जा रहा है कि यही तेंदुआ खेतों के रास्ते एक्सप्रेस-वे तक पहुंचा है। जो दुघर्टना में मारा गया। बता दें कि मेरठ में पिछले 10 दिनों से लोगो में तेंदुए को लेकर दहशत बनी हुई थी। पहले तेंदुआ आरवीसी सेंटर कैंट में देखा गया। इसके बाद मेरठ जागृति बिहार के कीर्ति पैलेस में नाले के किनारे तेंदुआ नजर आया।

लखमी विहार में दोपहर के समय तेंदुआ देखा गया। फिर जागृति विहार बीडीएस स्कूल के पास तेंदुआ देखा गया है। वहीं, डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर गाड़ी से टकराकर जो तेंदुआ मरा है, वह एरिया गाजियाबाद मंडल के अंतर्गत आता है। वह तेंदुआ मेरठ का था या नहीं यह पता लगाना अभी असंभव है।

मेरठ में तेंदुआ, झूठ बोलता रहा वन विभाग

पहले तो डीएफओ यह मानने को तैयार नहीं थे कि तेंदुआ कैंट क्षेत्र में आया था। पखवाड़े भर तक डीएफओ यही कहते रहे कि कैंट में तेंदुआ नहीं हैं। सैन्य अफसरों के चिठ्ठी लिखने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी तेंदुआ हैं, यह मानने को तैयार नहीं थे। कैंट में वन विभाग द्वारा लगाये गए कैमरे में जब तेंदुआ कैद हुआ, तब जाकर वन विभाग ने इतना भर कहा कि ये तो तेंदुएं जैसा कोई जानवर हैं, लेकिन फिर भी इसकी पुष्टि नहीं की कि तेंदुआ यहां पर मौजूद हैं।

इसमें पूरी तरह से वन विभाग की टीम विफल साबित हुई और तेंदुआ कहां गया, कुछ पता नहीं चला। ऐसा भी हो सकता है कि तेंदुआ की कैंट क्षेत्र में ही मौजूदगी वर्तमान में भी बनी हो, इसमें कुछ भी कहना फिलहाल मुश्किल हैं। यही नहीं, इसके बाद तेंदुआ जागृति विहार में तेंदुआ देखा गया। यहां काली नदी के किनारे तेंदुएं के पंजे के निशान मिले, जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने कह दिया कि काली नदी के किनारे तेंदुआ आगे बढ़ गया हैं।

इसी बीच फिर से शहर के कई इलाकों में तेंदुआ कैमरों में कैद हो गया। इसको गलत साबित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुएं को पकड़ने की बजाय अपनी टीम को आम जनता की वीडियो ये कहकर बनवाई कि तेंदुआ क्या देखा हैं? इस तरह की वीडियो ग्रुप में डाली गई। इसकी भी प्रबल संभावनाएं है कि तेंदुआ जो एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना में मारा गया हैं, वो मेरठ से ही एक्सप्रेस-वे पर पहुंचा हो? हालांकि विभाग विभाग के अधिकारी इससे भी पल्ला झाड़ रहे हैं कि तेंदुआ कहां से आया?

सीसीटीवी खंगाले

एक्सप्रेस-वे पर लगे सीसीटीवी कैमरों में भी ये तेंदुआ कैद हुआ हैं, जिसकी छानबीन फुटेज निकलवाकर वन विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि तेंदुआ मेरठ की तरफ से एक्सप्रेस-वे पर चढ़ा हैं। अब यह तो तभी पुख्ता हो पाएगा,

जब वन विभाग के अधिकारी अधिकृत रूप से यह कहेंगे कि सीसीटीवी फुटेज में तेंदुआ मेरठ की तरफ से जाता हुआ मिला। अब वन विभाग के अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, जिसमें एक्सप्रेस-वे पर व्यापक स्तर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इनका सेंटर भी काशी टोल प्लाजा पर बनाया गया हैं।

पकड़ा जाता तो बच सकती थी तेंदुए की जान

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मृत मिला तेंदुआ यदि मेरठ में पकड़ा गया होता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। एक्सपर्ट की टीम भी लगी थी, लेकिन फिर भी तेंदुआ नहीं पकड़ा जा सकता। यही वजह है कि तेंदुआ एक्सप्रेस-वे पर पहुंच गया, जहां हादसे में मारा गया।

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