लखनऊ न्यूज़: डेस्क प्रदेश के विकास प्राधिकरणों में फर्जीवाड़ा, भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण कराने वाले इंजीनियरों और कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जाएगा. प्रॉपर्टी डीलरों, भूमाफिया से सांठगांठ कर प्राधिकरण को नुकसान पहुंचाने वाले कर्मचारियों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी. शासन ने प्रदेश के सभी प्राधिकरणों तथा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों के अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों से ऐसे कर्मचारियों के बारे में गोपनीय रिपोर्ट मांगी है.
प्रदेश के विभिन्न विकास प्राधिकरणों में दर्जनों की संख्या में इंजीनियर और कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं. बिल्डरों, प्रॉपर्टी डीलरों के साथ शहर में न सिर्फ अवैध निर्माण करा रहे हैं, बल्कि अनियोजित कॉलोनी भी बना रहे हैं. इसके नाम पर जेबें भर रहे हैं. शासन को इसकी जानकारी हुई है. कर्मचारी भी फर्जीवाड़े में पीछे नहीं हैं.
लखनऊ विकास प्राधिकरण में भी ऐसे कर्मचारियों की संख्या दर्जनों है. एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने ऐसे ही दो कर्मचारियों को पिछले सप्ताह नौकरी से बर्खास्त किया था. शासन प्रदेश स्तर पर बड़े पैमाने पर ऐसे कर्मचारियों, इंजीनियरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने जा रहा है. 50 वर्ष से अधिक उम्र के सभी दागदार इंजीनियरों और कर्मचारियों की शासन ने गोपनीय रिपोर्ट मांगी है. प्राधिकरणों की इसी रिपोर्ट पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी. शासन के आवास, शहरी नियोजन अनुभाग 5 के अनु सचिव अजय मिश्रा ने अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण के निर्देश पर प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में तीन अप्रैल को पत्र लिखा है. सभी भ्रष्ट, काम में लापरवाही करने वाले इंजीनियरों, कर्मचारियों के बारे में शीघ्र रिपोर्ट भेजने को कहा है.
एलडीए के इंजीनियर कर्मचारी भी रडार पर
शासन के पत्र के बाद एलडीए ऐसे कर्मचारियों, इंजीनियरों की सूची बनवा रहा है, जो भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़े और अवैध निर्माण में शामिल रहे हैं. प्राधिकरण पूर्व में कई कर्मचारियों को निलंबित कर चुका है. कई पर एफआईआर कराई है और कई नौकरी से हटाए भी गए हैं. अवैध निर्माण में कई पर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भी भेजी है. इनमें कुछ पर गंभीर आरोप हैं.