इलाहाबाद: एक ओर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की लूट मची है तो दूसरी ओर ऐसे भी लोग इस जिले में हैं, जो गरीब और पात्र होने के बाद भी सरकारी मदद से बेटियों का हाथ पीला करने में गुरेज कर रहे हैं. यही कारण है कि इस बार समाज कल्याण विभाग को तलाश करने पर भी पर्याप्त संख्या में पात्र नहीं मिल रहे हैं. मेजा, उरवा और करछना जैसे इलाकों में संपर्क के बाद विभाग को कर्मचारियों ने ही यही जानकारी दी. गरीबों की बेटियों के विवाह के लिए प्रदेश सरकार की ओर से सामूहिक विवाह योजना चलाई जाती है. इस बार जिले को पूरे वित्तीय वर्ष में 2700 विवाह का लक्ष्य मिला था. वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने में भी विभाग लगभग 1700 सामूहिक विवाह ही करा सका है. अभी भी लक्ष्य पूरा करने में एक हजार लोग कम हैं, जबकि अब इस वित्तीय वर्ष में महज 25 दिन बचे हैं. इसमें भी जल्द ही चुनाव आचार संहिता लागू होने की उम्मीद है. ऐसे में लक्ष्य के अनुसार विवाह हो पाना संभव नहीं है. लक्ष्य के सापेक्ष विवाह न होने के कारण जब जिला समाज कल्याण अधिकारी ने पूछे तो मालूम चला कि मेजा, उरवा, करछना जैसे क्षेत्र में एक समूह वर्ग के गरीब जिनके पास सभी दस्तावेज थे, उन्होंने योजना का लाभ लेने से इनकार कर दिया. इस क्षेत्र में बड़े वर्ग में लोगों का मानना है कि बेटी के हाथ पीले करने के लिए सरकारी मदद नहीं लेंगे.
जिले में इस बार 2700 सामूहिक विवाह का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन अब तक 1700 विवाह ही हुए हैं. तमाम क्षेत्रों में गरीब ऐसे भी हैं, जो मदद से बेटियों के हाथ पीले नहीं करना चाहते हैं. डॉ. प्रज्ञा पांडेय, जिला समाज कल्याण अधिकारी
योजना के तहत मिलती है सहायता
योजना के तहत कुल 51 हजार रुपये की सहायता मिलती है. जिसमें 35 हजार रुपये शासन की ओर से बेटी के खाते में जाता है. 10 हजार रुपये उपहार के सामान पर खर्च होता है और छह हजार रुपये विवाह के दौरान भोजन पर खर्च होता है.