लखनऊ न्यूज़: राजधानी के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में इस समय 3 जानवरों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। ऐसे में दवा के साथ दुआ का दौर जारी है। प्राणी उद्यान के निदेशक वीके मिश्रा के मुताबिक, बाघ किशन वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर प्राणि उद्यान लाया गया था। यह बाघ कान और मुंह के पास की रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है। पिछले लगभग 13 वर्षो से बाघ किशन की चिकित्सा निरंतर की जा रही है, परन्तु अब उसकी आयु और रोग के कारण उसकी स्थिति दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है। बाघ किशन ने पिछले 03 दिन से भोजन ग्रहण नहीं किया है, उसको अधिकांशतः कराल में ही रखा जाता है। प्राणि उद्यान के वन्यजीव चिकित्सालय में रह रही अत्यन्त वृद्ध मादा तेंदुआ सोनाली को मई 2018 को सोहागीबरवा वन प्रभाग से रेस्क्यू कर लाया गया था।
उस समय उसकी स्थिति अत्यन्त गम्भीर थी तथा गहन चिकित्सा के उपरान्त वो भोजन, पानी ग्रहण कर पायी थी। वर्तमान में इसकी उम्र लगभग 14-16 वर्ष है। इसका अचानक पुनः गम्भीर रूप से अस्वस्थ्य हो गयी है तथा भोजन, पानी भी ग्रहण नहीं कर रही है, जिसका गहन उपचार प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है। मादा तेंदुए की स्थिति गम्भीर बनी हुई है।
इसी क्रम में बाघिन कजरी भी वर्ष 2019 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व से मरणासन स्थिति में रेस्क्यू करके प्राणि उद्यान लायी गयी थी। बेहद वृद्ध यह बाघिन देखने-सुनने एवं ज्यादा चलने-फिरने से लाचार है। इसके देखने की क्षमता लगभग नगण्य है तथा दांतो का क्षय होने के कारण इसको खाने में भी नर्म गोश्त ही दिया जाता है। ये बाघिन भी अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव में है।