केडीए की ब्लॉकचेन तकनीक मार्च में शुरू होगी, IIT प्रोफेसर ने पेश किया प्रेजेंटेशन
कानपुर: KDA की ब्लॉक चेन तकनीक मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। आईआईटी ने योजना के क्रियांवयन को मार्च के प्रथम सप्ताह में टेस्टिंग प्रारम्भ करने के साथ अंतिम सप्ताह में पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे शुरू करने का आश्वासन दिया। गुरुवार को आईआईटी प्रोफेसर रंजीत मिश्रा ने ब्लॉक चेन तकनीक के माध्यम से टीडीआर पोर्टल का प्रारम्भिक यूआई का केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह के सामने प्रेजेंटेशन दिया। इसदौरान उपाध्यक्ष ने देश के अन्य राज्यों के पोर्टल की तरह सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के आकलन करने का भी सुझाव दिया।
कानपुर विकास प्राधिकरण और आईआईटी कानपुर संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के समस्त विकास प्राधिकरणों के अन्तर्गत ब्लॉक चेन तकनीक के माध्यम से ट्रान्सफेरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) की नीतियों के क्रियांवयन के लिए पाइलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। इसी को लेकर गुरुवार को केडीए में आईआईटी ने प्रेजेंटेशन दिया। इसदौरान उपाध्यक्ष ने योजना को जल्द शुरू करने के लिए 31 जनवरी तक की डेड लाइन घोषित कर दी। जिसके बाद आईआईटी के प्रोफेसर ने इसे शुरू करने का आश्वासन दिया। आईआईटी कानपुर केडीए का नॉलेज पार्टनर है।
तकनीक भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी:
केडीए और आईआईटी ने मिलकल ब्लॉक चेन तकनीक को विकसित किया है। दो दिन बाद इसपर फिर से प्रेजेंटेशन होना है। ब्लाक चेन तकनीक का प्रयोग करने वाला पहला प्राधिकरण कानपुर है। ब्लॉक चेन तकनीक के जरिए भूमि का मूल्यांकन करते हुये उसके बदले एक प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा। यह प्रमाण पत्र ट्रांसफेरेबल होगा, जिसे लोग अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य को नियमानुसार पैसे लेकर ट्रांसफर कर सकेंगे।
इसके स्थान पर उसकी अन्य भूमि पर प्राधिकरण से एफएआर ले सकेगा। इस तकनीक से जमीनों का क्रय-विक्रय एक प्रकार से शेयर मार्केट की तरह होगा। सम्पूर्ण डेटा ब्लाक चेन तकनीक के माध्यम से सुरक्षित रहेगा जिसमें किसी प्रकार की कोई हेरा-फेरी नहीं की जा सकेगी। यह तकनीक प्रदेश के सभी प्राधिकरणों में लागू की जायेगी।
इसके साथ भविष्य में ब्लॉक चेन तकनीक पर ही समस्त भूमि, क्षेत्रफल, नवैय्यत आदि का विवरण प्राप्त किया जा सकता है, जिससे किसी भी प्रकार का फ्राड नहीं हो सकेगा। इसके साथ खरीदार द्वारा किसी भी भूमि का सम्पूर्ण विवरण एक क्लिक पर देखा जा सकेगा
इस पर भी हुई बात:
1. आईआईटी कानपुर ने प्रेजेन्टेशन में टीडीआर प्रक्रिया का वर्क फ्लो भी दर्शाया गया।
2. आईआईटी कानपुर द्वारा टीडीआर पोर्टल के यूजर लॉगिन, डैस-बोर्ड, आनलाइन व ऑफलाइन सत्यापन प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा गया, जिसके क्रम मंी उपाध्यक्ष महोदय द्वारा जारी किये जाने वाले डिजिटल राइट्स सर्टिफिकेट (डीआरसी) के प्रकार और परिदृश्यों का विश्लेषण करने के निर्देश दिये गये।
3. बैठक में पोर्टल पर आधार नंबर द्वारा लॉगिन किये जाने और प्रपत्रों के सत्यापन के लिए ओबीपीएएस पोर्टल से एकीकृत किये जाने का प्रस्ताव दिया गया।
4. वीसी अरविंद सिंह ने देश के अन्य राज्यों तेलंगाना, कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश में चल रहे टीडीआर पोर्टल के सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों के आंकलन करने का भी सुझाव दिया।