Kanpur: मौसम आधारित गेहूं की खेती से कम लागत में होगा बंपर उत्पादन

यदि किसान गेहूं की बुवाई सही समय पर कर लेंगे तो कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है: डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय

Update: 2024-10-24 08:23 GMT

कानपुर: गेहूं की अगेती बुआई लिए नवंबर के पहले सप्ताह से 25 नवंबर तक सबसे उपयुक्त समय है। इस समय की गई गेहूं की बुवाई में किसानों को कम लागत में अच्छा उत्पादन मिल जाता है। यदि किसान गेहूं की बुवाई सही समय पर कर लेंगे तो कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है। यह जानकारी गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।

उन्होंने बताया कि किसान भाइयों को सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि गेंहू की बुआई कैसे करनी चाहिए। जिससे उन्हें कम लागत के साथ समय की भी बचत होगी। इसके अतिरिक्त स्वस्थ फसल के लिए बीज उपचार करने के बाद ही गेहूं की बुवाई करें।

जाने कैसे करें गेहूं के लिए खेत तैयार?

मौसम विशेषज्ञ डॉ. पांडेय ने बताया कि धान की कटाई के बाद पराली को कल्चर की मदद से महीन-महीन टुकड़ों में कुतर दें। उसके बाद एमबी प्लाऊ से खेत की गहरी जुताई करें, जिससे 9 से 10 इंच तक गहरी जुताई हो जाती है। उसके बाद एक से दो बार इसका डिस्क और फिर कल्टीवेटर से जुताई कर खेत में पानी भर दें। कुछ ही दिनों में खेत जुताई के लिए फिर तैयार हो जाएगा। उसके बाद डिस्क हैरो और कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें, जिससे मिट्टी में वायु संचार बेहतर होगा और मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी। फिर खेत में लेजर लेवलर चलाकर खेत को समतल कर लें। जिससे कि जल निकासी बेहतर हो जाए, उसके बाद गेहूं की फसल की बुवाई की जा सकती है।

कब करें गेहूं की अगेती बुवाई?

गेहूं की अगेती किस्म की बुवाई के लिए नवंबर के पहले सप्ताह से लेकर से 25 नवंबर तक बेहद ही उपयुक्त समय माना जाता है। इस समय की गई गेहूं की बुवाई में किसानों को कम लागत में अच्छा उत्पादन मिल जाता है। गेहूं की बुवाई करते वक्त किसान फसल अवशेष पराली का बेहतर निस्तारण कर लें। किसान आधुनिक कृषि यंत्र सुपर सीडर या हैप्पी सीडर से भी गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। यह दोनों ही कृषि यंत्र गेहूं की सीधी बुवाई करते हैं। इसके लिए किसानों को खेत की जुताई नहीं करनी पड़ती।

गेहूं की खेती के बारे में जरूरी बातें

गेहूं की बुआई आम तौर पर अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर की शुरुआत तक की जाती है।गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। गेहूं की बुवाई के लिए, जमीन को पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जोतना चाहिए। इसके बाद, डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से 2-3 बार जमीन को जोत कर समतल करना चाहिए। गेहूं की बुआई के लिए, 22.5 सेमी×10 सेमी की दूरी पर पंक्तिया बनानी चाहिए।गेहूं की बुआई के लिए, 100 से 125 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर रखनी चाहिए।

पैदावार बढ़ाने के लिए और क्या है आवश्यक

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए, नाइट्रोजन और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए। गेहूं की सिंचाई के लिए, पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों बाद करनी चाहिए। गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए, सिंचाई फव्वारा विधि का इस्तेमाल करना चाहिए। गेहूं की फसल में कई तरह की बीमारियां और कीट लगते हैं। इससे बचने के लिए, ज़रूरी उपाय करने चाहिए।

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