लखनऊ न्यूज़: सरकारी डॉक्टरों व अन्य कार्मिकों की विदेश यात्रा की राह अब आसान हो जाएगी. यात्रा के लिए अनुमति की फाइल अब शासन नहीं भेजी जाएगी. महानिदेशक (डीजी) चिकित्सा स्वास्थ्य के स्तर से ही उन्हें अनुमति दे दी जाएगी. इससे अनुमति मिलने में समय कम लगेगा. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने इस संबंध में डीजी को दिशा-निर्देश दिए हैं.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के कार्मिक प्रशिक्षण, सेवायोजन, गोष्ठी, सेमिनार या व्यक्तिगत कार्यों से विदेश जाते हैं. भले ही यह यात्रा उन्हें निजी खर्च पर करनी होती है मगर इसके लिए विभागीय अनुमति लेना अनिवार्य है. प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा है कि डॉक्टरों व अन्य कार्मिकों के निजी कार्य से व्यक्तिगत खर्च पर विदेश यात्रा संबंधी अनुमति के सभी प्रस्ताव शासन को प्रेषित कर दिए जाते हैं जबकि सरकारी सेवकों को विदेश यात्रा की अनुमति देने के लिए कार्मिक विभाग का 14 जून 1999 का शासनादेश है.
एक माह से अधिक वाले प्रस्ताव जाएंगे शासन शासनादेश के अनुसार जिन सरकारी सेवकों के सेवा अभिलेख विभागाध्यक्ष कार्यालय में रखे जाते हैं, उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति देने का अधिकार विभागाध्यक्ष को है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के सभी कार्मिकों के अभिलेख महानिदेशालय स्तर पर ही रखे जाते हैं. ऐसे में विभागाध्यक्ष यानि महानिदेशक को छोड़कर अन्य सभी सरकारी डॉक्टर व कर्मियों को एक माह तक की विदेश यात्रा की अनुमति विभागाध्यक्ष द्वारा प्रदान की जाए.