गांवों में सिंचाई विभाग नहर के पानी से नहीं भरेगा तालाब

विकास विभाग अफसर तालाबों के आस पास नलकूपों की तलाश में जुट गए

Update: 2024-05-23 06:43 GMT

झाँसी: गांवों में सूखे 1 तालाब फिलहाल नहीं भरे जा सकेंगे. पेयजल योजनाओं को पानी देने का हवाला देकर सिंचाई विभाग अधिकारियों ने इससे साफ इनकार कर दिया. जिसके बाद विकास विभाग अफसर तालाबों के आस पास नलकूपों की तलाश में जुट गए, जिससे तालाबों में मवेशियों की प्यास बुझाने लायक पानी का भंडारण किया जा सके.

अतिपिछड़े कहे जाने वाले बुंदेलखंड स्थित ललितपुर जनपद में पानी वर्षों से बड़ी समस्या बना हुआ है. खासकर गर्मी के मौसम में यहां भूगर्भ जलस्तर तेजी के साथ नीचे की ओर सरकता है, जिससे यहां के नगरीय व ग्रामीण इलाकों में हैंडपंप, जेटपंप, सबमर्सिबल हवा देने लगते हैं. कुछ समय पश्चात कूप, तालाब, पोखर, बावड़ी सूख जाती हैं. तालाबों से धूल उड़ने लगती है. मौसम तल्ख होने पर अफसरों ने गांवों के तालाबों में पानी की स्थिति का सर्वेक्षण कराया. इस दौरान 415 ग्राम पंचायतों में से 273 ग्रामों में 373 तालाब पाए गए. शेष 142 में से 96 ग्राम पंचायतों की बसावट किसी नदी के किनारे याफिर बांध के पास मिली. जिस कारण इनके आस पास तालाब के होने याफिर नहीं होने का कोई मतलब नहीं है. इस तरह 415 ग्राम पंचायतों में से 369 गांवों में तालाब उपलब्ध मिले. 46 ग्राम पंचायतों में एक भी तालाब नहीं है. सर्वेक्षण के दौरान 373 में से 1 तालाबों में पानी की एक बूंद नहीं है. तालाबों से धूल उड़ रही है. जसकी वजह से मवेशियों को पानी उपलब्ध कराने में पशुपालकों को समस्याएं हो रही हैं. हैंडपंप से पानी ढोकर लाने वाले ग्रामीण मवेशियों की प्यास बुझाने में बेहाल हुए जा रहे हैं. इन स्थितियों में मवेशियों को आसानी से पानी उपलब्ध कराने के लिए जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग अफसरों को पत्र लिखकर नहरें चलाकर तालाबों में पानी भरने के लिए कहा था. सिंचाई विभाग अफसरों ने मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेजकर इससे साफ इनकार कर दिया है. उनके मुताबिक बांधों में जलभंडारण बहुत सीमित है. मौजूदा समय में उपलब्ध पानी पाइप पेयजल योजनाओं के लिए सुरक्षित रखा जाना है. नहरों से तालाब भरने की स्थिति में पाइप पेयजल योजनाओं के लिए पानी नहीं बचेगा. सिंचाई विभाग अफसरों का जवाब मिलते ही मुख्य विकास अधिकारी ने खाली पड़े तालाबों में से उनकी सूची बनवानी शुरू कर दी जिनके आस पास नलकूप स्थापित हैं. इन नलकूपों के माध्यम से तालाबों को भरने का प्रयास किया जाएगा.

अमृत सरोवरों में उड़ रही धूल, तालाब व पोखरे सूखे मड़ावरा. विकासखण्ड में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते जल संरक्षण को बनाए तालाबों में पानी समाप्त हो गया है. जिस कारण अब निराश्रित पशुओं, पक्षियों के साथ ही जंगली जानवर पेयजल के लिए इधर, उधर विचरण कर रहे हैं. इन तालाबों के आस पास की हरियाली भी नदारत हो गयी.

विकास खंड मड़ावरा अन्तर्गत 25 गांवों में अमृत सरोवर बनवाए गए. ग्राम पंचायत बनयाना, अर्जुनखिरिया, बनगुवां, आदि गांवों के अमृत सरोवरों में पानी नहीं है. भीषण गर्मी में आदमी तो अपने लिए पानी की व्यवस्था कर ले रहा है, लेकिन पक्षियों और पशुओं की हालत खराब हो गई है. पशु पक्षी सब परेशान हैं. पानी के लिए निराश्रित पशुओं के साथ ही जंगली जानवर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों के लिए भी जंगली पशुओं के हमले का खतरा उत्पन्न हो गया है.

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