किशोरी की हत्या के 33 साल पुराने मुकदमे विवेचना अधूरी ,पुलिस अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश

Update: 2024-05-21 06:53 GMT
कानपुर : कानपुर में किशोरी की हत्या के 33 साल पुराने मुकदमे की विवेचना अब तक पूरी नहीं हो सकी। विवेचना चल कहां रही है, इसका भी पता नहीं है। इस पर सीएमएम सूरज मिश्रा ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा है कि व्यक्तिगत रुचि लेकर मामले की वर्तमान स्थिति और मुकदमे के अभिलेखों का पता लगाने की कोशिश करें।
 दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें और 24 जून तक न्यायालय को रिपोर्ट भेजें। आदेश की एक प्रति डीजीपी लखनऊ व प्रमुख सचिव गृह को भी कार्रवाई के लिए भेजने के निर्देश दिए, ताकि पीड़ित को न्याय दिया जा सके।
कर्नलगंज के बेनाझाबर निवासी संजय अवस्थी की तहरीर पर विपिन मोहन गौतम समेत पांच के खिलाफ वर्ष 1991 में किशोरी के अपहरण और हत्या की रिपोर्ट कर्नलगंज थाने में दर्ज हुई थी। विवेचना के बाद पुलिस ने हत्या व सबूत मिटाने की धाराओं में पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट लगाई, लेकिन कोर्ट नहीं पहुंची।
कुछ समय बाद भंग हो गई थी एसआईएस शाखा
अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद तत्कालीन एसएसपी के आदेश पर विवेचना एसआईएस (स्पेशल इंवेस्टीगेशन सेक्शन) शाखा को स्थानांतरित कर दी गई थी। कुछ समय बाद एसआईएस शाखा भंग हो गई, लेकिन यहां चल रही जांच का क्या हुआ और फाइल किसको सौंपी गई।
पुलिस कमिश्नर को कार्रवाई के लिए लिखा पत्र
इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। पिछले दिनों संजय अवस्थी ने सीएमएम कोर्ट में अर्जी देकर विवेचना की रिपोर्ट मंगाए जाने की मांग की। कोर्ट ने जब रिपोर्ट मांगी तो विवेचक ने जांच एसआईएस शाखा में स्थानांतरण की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। इस पर कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
कोर्ट की टिप्प्णी- पुलिस अफसर कानूनी दायित्व निभाने मेें विफल
मामले में सीएमएम सूरज मिश्रा ने टिप्पणी की है कि हत्या जैसे गंभीर और मौत की सजा तक से दंडनीय अपराध के मुकदमे में पुलिस और विशेष जांच एजेंसी द्वारा घोर लापरवाही बरती गई। अभिलेख गायब कर दिए गए, जिससे 33 साल बाद भी अब तक दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकी।
पीड़ित न्याय के लिए काट रहा चक्कर
पीड़ित न्याय के लिए अदालत और पुलिस अफसरों के चक्कर काट रहा है। इस मुकदमे को देखकर लगता है कि जिले में आपराधिक प्रशासन देखने वाले अफसर अपने कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक है।
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