उत्तरप्रदेश | इंटरनेट की लत शहर के बच्चों-युवकों में तेजी से बढ़ रही है, जिसका गंभीर असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इंटरनेट एडिक्शन के शिकार हुए युवकों की काउंसिलिंग करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक उनके पास हर महीने 82 से 85 केस आ रहे हैं. इसमें से आठ से दस केस इलाज के लिए उनके पास पुलिस की तरफ से भेजे जाते हैं.
शहर में इंटरनेट एडिक्शन का शिकार हुए कई बच्चे परिजनों की डांट के बाद घर छोड़ कर चले गए. जिनको परिजनों की सूचना के बाद पुलिस ने बरामद किया. इन बच्चों की मनोचिकित्सकों से काउंसिलिंग कराई जा रही है. शराब या ड्रग्स जैसे नशे के एडिक्शन से इंसानी दिमाग में जो बदलाव होते हैं, ठीक वैसे ही बदलाव इंटरनेट की लत ने करने शुरू कर दिए हैं.
आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सुनील अवाना मुताबिक इंटरनेट डिसऑर्डर के मामले पहले से बढ़ गए हैं, शहर में 5 से 18 साल तक के युवा इस डिसऑर्डर का ज्यादा शिकार हो रहे हैं. हफ्ते में 40 से 50 घंटे तक इंटरनेट यूज करने वाले इस डिसऑर्डर का शिकार माने जाते हैं.
● बच्चा दिनभर मोबाइल फोन में खोया रहे, जरा-सी बात पर गुस्सा और चिड़चिड़ापन
● एकाग्र न रहना, खाना न खाना, रातभर जागना, पढ़ाई न करना, छोटी सी बात पर घर से चले जाना, स्कूल जाने से कतराना
● लगातार रील बनाते रहना, सोशल मीडिया पर लाइक या व्यूज कम होने पर उदास होना