लखनऊ न्यूज़: अब पीजीआई में संक्रामक बीमारियों का इलाज होने के साथ-साथ वैक्सीन भी तैयार होगी. संस्थान में साल के आखिर तक संक्रामक रोग और वैक्सीन शोध विभाग (इंफेक्सीयस डिजीज एंड वैक्सीन रिसर्च) शुरू हो जाएगा. इस विभाग में 41 बेड होंगे. जिसमें स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस, वायरल हेपेटाइटिस और कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज होगा.
पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन ने बताया कि कोरोना काल के बाद संक्रामक विभाग खोलने की प्रकिया शुरू हुई थी. पीजीआई के अध्यक्ष और मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सितम्बर 2022 को शासी निकाय की बैठक में इस विभाग को मंजूरी दी थी. डॉ. धीमन ने बताया कि नया इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू होने के बाद से पुरानी इमरजेंसी खाली हो गई है. इसमें संक्रामक विभाग शुरू किया जाएगा. इसमें डॉक्टर व रेजिडेंट की तैनाती को प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. जिसमें 30 सामान्य बेड और 11 आईसीयू बेड हैं.
आनुवांशिक रोगों का जीन सीक्वेंसिंग से पता लगाएंगे
जीन सीक्वेंसिंग की मदद से आनुवांशिक बीमारियों का पता लगाना आसान हुआ है. इसकी मदद से 20 हजार जीन की जांच संभव है. यह काफी आधुनिक तकनीक है. यह जानकारी पीजीआई में प्रो. एसएस अग्रवाल की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में एम्स दिल्ली के आनुवांशिक विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका काबरा ने दी. उन्होंने बताया कि सिर्फ पांच फीसदी आनुवांशिक बीमारियों का इलाज संभव है. डॉ. काबरा ने बताया कि जिन दंपत्ति के पहले बच्चे में डाउन सिंड्रोम, आंख में दिक्कत, कद छोटा होना, थैलेसीमिया, रीढ़ की हड्डी में बनावटी दिक्कत हो चुकी है उन दंपति को यह जांच जरूर करानी चाहिए. पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन और डीन डॉ. एसपी अंबेश ने बताया कि प्रो. अग्रवाल ने देश के पहले जेनेटिक्स एंड इम्यूनोलॉजी विभाग को स्थापित किया.