वाराणसी की वित्त वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय में ढाई हजार रुपये से ज्यादा की सालाना वृद्धि दर्ज
वाराणसी न्यूज़: कोरोनाकाल के बाद से बनारस जिले का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 14 फीसदी की दर से बढ़ी. इस दौरान वाराणसी की प्रदेश जीडीपी में हिस्सेदारी भी 0.01 फीसदी बढ़ी है. वर्ष 2021-2022 के आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी 32703.57 करोड़ रुपये पर रही, जबकि 2020-2021 में 28006.44 करोड़ रुपये थी. राज्य में जीडीपी के स्तर पर पिछले दो वर्षों से बनारस 17वें स्थान पर कायम है. जिले की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी के साथ ही प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है. प्रति व्यक्ति आय 59,530 रुपये सालाना हो गई है, जो इससे एक वर्ष पूर्व 57 हजार रुपये थी.
डीएवी पीजी कॉलेज में अर्थशास्त्रत्त् विभाग के अध्यक्ष व आर्थिक विशेषज्ञ प्रो. अनूप मिश्र ने बताया कि वाराणसी एक समृद्ध इतिहास व संस्कृति वाला शहर है, लेकिन यह शहर गरीबी और बेरोजगारी के उच्चस्तर वाला भी है. बताते हैं कि पर्यटन बढ़ने से सेवा क्षेत्र (हास्पिटैलिटी) में तेज बढ़ोतरी हुई है. कृषि उत्पादों के निर्यात से व्यवसायिक खेती में तेजी आई है.
पीएम स्वनिधि योजना से जहां छोटे-छोटे दुकानदारों व व्यापारियों की संख्या बढ़ी है, वहीं एमएसएमई सेक्टर के लिए ऋण वितरण आसान होने से इसका उत्पादन 15 से 17 फीसदी अधिक हुआ है. हाल के वर्षों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का ढांचागत विकास भी तेजी से हुआ है. प्रो. मिश्र ने कहा कि यहां शहर व ग्रामीण क्षेत्रों का आर्थिक स्तर अलग है. शहर में व्यापार, पर्यटन, सेवा व कुटीर उद्योग की आय जीडीपी में अधिक है. ग्रामीण क्षेत्र में आय का आधार कृषि है, जो जीडीपी को प्रभावित करता है.
क्यों जरूरी है जीडीपी
किसी देश की जीडीपी उसकी आर्थिक तस्वीर को दिखाती है. इसका उपयोग किसी अर्थव्यवस्था के आकार और वृद्धि दर का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है. जीडीपी की गणना व्यय, उत्पादन व आय के उपयोग से की जाती है. इसमें मुद्रास्फीति और जनसंख्या को भी समायोजित किया जाता है. जीडीपी नीति निर्माताओं, निवेशकों और कंपनियों को रणनीतिक निर्णय लेने में सहायक होते हैं.
कुल जीडीपी में हिस्सेदारी
रैंक जिला जीडीपी
17 वाराणसी 32703.57
21 सोनभद्र 25904.29
23 आजमगढ़ 24842.15
31 जौनपुर 21810.91
35 गाजीपुर 20371.25
40 मीरजापुर 18260.88
44 बलिया 16498.11
55 मऊ 14870.12
69 चन्दौली 10831.71
70 भदोही 10712.11
करोड़ रुपये में
तीसरे साल भी बढ़ी सोनांचल की हिस्सेदारी
खेती किसानी से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में हुए विकास के कारण पूर्वांचल में संपन्नता बढ़ी है. पूर्वांचल एक्सप्रेस, काशी विश्वनाथ और विंध्य कॉरिडोर मिलने से विकास की रफ्तार में अपेक्षाकृत तेजी आई है. परिणाम पूर्वांचल के दस जिलों में वाराणसी व सोनभद्र में संपन्नता बढ़ी है.
कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा समेत 18 मानकों के आधार पर किए गए प्रदेश जीडीपी के आकलन में पूर्वांचल की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर हुई है. पिछले तीन सालों से जीडीपी में सोनभद्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में जहां जीडीपी में सोनभद्र की हिस्सेदारी 1.29 थी, वहीं 2020-21 में 1.31 और 2021-22 में 1.35 पहुंच गई. यानी सोनभद्र में औसत 0.02 फीसदी की गति से संपन्नता भी बढ़ी है. इसके अलावा वर्ष 2021-22 में वाराणसी, मिर्जापुर और मऊ की हिस्सेदारी भी बढ़ी है. हालांकि आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया व चंदौली का योगदान घटा है. भदोही का योगदान यथावत है.
पूर्वांचल के जिलों का दो फीसदी भी नहीं है योगदान पूर्वांचल के दस जिलों में से किसी का भी योगदान प्रदेश जीडीपी में दो फीसदी भी नहीं है. सबसे अधिक वाराणसी हिस्सेदारी है, जो 1.71 है.
इन उपायों से होगा और सुधार
● वाराणसी प्रमुख पर्यटन स्थल है इससे होने वाली कमाई प्रमुख स्रोत हो सकती है.
● सरकार बुनियादी ढांचे को सुधार एवं सुलभ बना पर्यटन को बढ़ावा दे.
● सरकार विनिर्माण क्षेत्र को विकसित करे. इससे ज्यादा रोजगार पैदा होंगे.
● निवेशकों को वाराणसी में विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिले.
● शिक्षा व प्रशिक्षण में निवेश करें ताकि बड़ी संख्या में कुशल कार्यबल बनाया जा सके.
● छोटे व्यवसाय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. सरकार छोटे व्यवसायों को समर्थन दे.
(सुझाव डीएवी पीजी कॉलेज में अर्थशास्त्रत्त् विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनूप मिश्र के हैं)