खतौली विधानसभा के उपचुनाव में BJP को बस्ता पकड़ने वाले भी नहीं मिले
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली हार को गालीबाज नेता श्रीकांत त्यागी ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने इस बात का दावा किया कि उनकी वजह से भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है। खतौली में श्रीकांत समाज के युवा बूथ और पन्ना प्रभारी होते थे और यही सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है। लेकिन उनके साथ हुई बदसलूकी के बाद हालात बदल गए और भाजपा को खतौली उपचुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। त्यागी ने कहा कि इस उपचुनाव में हालात यहां तक आ गए थे कि भाजपा को बस्ता पकड़ने वाले भी नहीं मिल रहे थे। जानकारी मुताबिक महिला से बदसलूकी के मामले में जेल जा चुके श्रीकांत त्यागी ने दावा किया है कि खतौली विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार उनकी वजह से हुई है। खासतौर पर ट्रैक्टर रैली के बाद खतौली विधानसभा सीट पर हवा बदली। त्यागी समाज ने भाजपा को छोड़कर रालोद के पक्ष में एकतरफा मतदान किया। त्यागी ने बताया कि खतौली विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़ों को देखा जाए तो यहां अकेले त्यागी समाज के 25 हजार वोट हैं और अब तक यह सारे वोट भाजपा के खाते में आते रहे हैं, लेकिन आज सबने उनके सम्मान के लिए भाजपा का साथ छोड़ दिया।
SP और RLD के संयुक्त प्रत्याशी मदन भैया ने दर्ज की जीत
खतौली विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और रालोद के संयुक्त प्रत्याशी मदन भैया ने जीत दर्ज की है। उन्होंने 5 दिसंबर को हुए उपचुनाव की वोटिंग में भाजपा की प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को 22 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया है।
प्रशासन ने तानाशाही कर बचाई BJP की इज्जत
श्रीकांत त्यागी ने दावा किया कि खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 50 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ना था, लेकिन प्रशासन ने तानाशाही कर भाजपा की इज्जत बचाई है। त्यागी ने कहा कि सिर्फ नावला गांव में 4113 वोट हैं, जिनमें 3736 वोट रालोद को मिले हैं। इसके आगे त्यागी ने कहा कि पश्चिमी यूपी में लगभग 90 लाख त्यागी वोट हैं, यदि भाजपा अपनी नीतियों में सुधार नहीं करती तो आगामी चुनावों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।