बीएचयू में कोविड को लेकर महत्वपूर्ण खोज, बन सकेगी प्रभावी दवा, जर्मनी से मिला पेटेंट
नई दिल्ली। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व शोधकतार्ओं ने कोरोनावायरस को लेकर एक महत्वपूर्ण और बड़ी खोज की है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की इस खोज से बीमारी का बेहतर उपचार संभव हो सकेगा। साथ ही कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सकेगा। भारतीय विश्वविद्यालय की इस खोज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता भी मिल गई है। जर्मनी ने बकायदा बीएचयू के इस नवाचार को पेटेंट दिया है।
बीएचयू ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक सफल नवाचार सोम्निफेरिसिन फाइटो अणु वृद्धि अवरोधक विकसित करने की प्रणाली बनाई गई है। इसके लिए बीएचयू वैज्ञानिकों के कार्य को जर्मन पेटेंट हासिल हुआ है। सेन्टर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स, विज्ञान संस्थान, के शोधकर्ताओं प्रो. परिमल दास, प्रशांत रंजन, नेहा, चंद्रा देवी, डॉ. गरिमा जैन, प्रशस्ति यादव, डॉ. चंदना बसु मलिक और डॉ भाग्य लक्ष्मी महापात्रा ने इस अति महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम दिया।
पेटेंट संरक्षण के साथ अनुसंधान दल अब सोम्निफेरिसिन फाइटो अणु विकास अवरोधक के संभावित अनुप्रयोगों का पता लगाने के लिए तैयार है। वे सक्रिय रूप से फार्मास्युटिकल कंपनियों, अनुसंधान संस्थानों और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के साथ साझेदारी और सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं, ताकि विकास में तेजी लाई जा सके और इस क्रांतिकारी नवाचार को व्यवहारिक समाधानों में परिवर्तित कर जनस्वास्थ्य को लाभ पहुंचाया जा सके।
कोरोना वायरस जन स्वास्थ्य के लिए वैश्विक खतरा पैदा कर चुका है। बीएचयू के मुताबिक सॉम्निफेरिसिन फाइटो मॉलिक्यूल ग्रोथ इनहिबिटर इस वायरस से निपटने के लिए एक प्रभावी हथियार के रूप में महत्वपूर्ण क्षमता रखता है। इस खोज का उद्देश्य वायरस के विकास और प्रसार को रोकने के लिए एक नया ²ष्टिकोण प्रदान करना है, जो बेहतर उपचार विकल्पों और निवारक उपायों का मार्ग प्रशस्त करने की संभावना रखता है।
यह प्रणाली वायरस के विकास को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए सोम्निफेरिसिन फाइटो अणु की शक्ति का उपयोग करती है। शोधकतार्ओं की अंतर्विषयी टीम को इस अत्याधुनिक समाधान को विकसित करने में काफी समय और प्रयास लगा, जिसमें वायरोलॉजी, फामार्कोलॉजी और आणविक जीव विज्ञान में उनकी विशेषज्ञता शामिल है। प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक प्रो. परिमल दास ने पेटेंट प्राप्त होने के बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह पेटेंट सार्स कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभिनव समाधान खोजने हेतु हमारी टीम के समर्पण और प्रतिबद्धता का एक का परिणाम है। हमारा मानना है कि सोम्नीफेरिसिन फाइटो मॉलिक्यूल ग्रोथ इनहिबिटर में इस वैश्विक महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता है। अनुसंधान दल की सफल खोज ने एंटीवायरल थेरेपी के विकास और वायरस के खिलाफ निवारक उपायों के लिए नई संभावनाएं को जन्म दिया है। जर्मन पेटेंट प्राप्त होना वैज्ञानिक प्रगति को व्यावहारिक समाधानों में बदलने की दिशा में उनकी यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है जो दुनिया भर में लोगों और समुदायों को लाभान्वित कर सकता है।
विश्वविद्यालय का कहना है कि वायरस से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर यह जर्मन पेटेंट आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, जो प्रगति और समर्पित शोधकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों को दर्शाता है। सोम्निफेरिसिन फाइटो मॉलिक्यूल ग्रोथ इनहिबिटर पर काम करने वाली शोधकतार्ओं की टीम अपने शोध को आगे बढ़ाने और अंतत इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट के खिलाफ लड़ाई में सार्थक प्रभाव डालने के लिए प्रतिबद्ध है।