भूमाफियाओं की अवैध प्लानिंग पर चढ़ रहा राजनीतिक रंग

Update: 2023-01-26 11:47 GMT
लखनऊ। सूबे की राजधानी में सत्ता के शीर्ष तक बैठे भूमाफियाओं की पकड़ का नतीजा है, कि आग लगने के बाद लोगों को लेवाना होटल का नाम सुनाई पड़ता है और गिरने के बाद अलाया अपार्टमेंट के नाम से पूरे देश-प्रदेश के लोग परिचित हो जाते हैं। लेवाना अग्निकांड में कितने मरे यह कोई नहीं जानता लेकिन मुख्यमंत्री योगी के द्वारा इस बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाने का आदेश अभी लम्बित पड़ा है। लेवाना मामले की जांच अभी पूरी भी नहीं हो पायी थी कि जी-20 सम्मेलन की तैयारियों में अपनी पीठे अपने हाथों से ठोकते लखनऊ प्रशासन को अलाया अपार्टमेंट के ढहने का सदमा झेलना पड़ गया है। राजधानी प्रशासन की बदहवासी का पता इससे चलता है, कि बिल्डिंग ढहने का पहला ठीकरा दोपहर में आए भूकंप के सिर पर फोड़ दिया गया। फिर राजनीति एंगल ढूंढा गया और समाजवादी पार्टी के नेता का नाम आते ही भूकंप का एंगल साफ हो गया,और प्राकृतिक दुर्घटना की जगह मामला राजनीतिक भ्रष्टाचार का हो गया। इसके बाद अब पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज करा दी गयी है। लखनऊ का वही कर्तव्यनिष्ठ पुलिस महकमा जो बिना एनओसी के एक पाँच मंजिला बन चुकी अवैध इमारत के निर्माण के समय सोया हुआ था,अब जागकर इसके ढहने के कारणों की पड़ताल करेगा। जब तक यह पड़ताल होगी तब तक लेवाना होटल की तरह किसी दूसरे होटल में आग लग जायेगी या अलाया जैसी दो-चार बिल्डिंगें गोमतीनगर विस्तार से लेकर चौक और अमीनाबाद की सकरी गलियों में बैठ जाएगी और फिर लेवाना और अलाया की तरह उनके मामले की मौसमी चर्चा दो-चार दिनों तक राजधानी वासियों के मनोरंजन का विषय बनी रहेगी। जानकारी के तहत सीएम योगी ने खुद इस मामले का त्वरित संज्ञान लिया है और एक कमेटी भी बनी है जिसमें मंडलायुक्त, ज्वाइंट सीपी और स्थानीय प्रशासन की टीम है। वहीं जिम्मेदारों के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआइआर भी दर्ज कराये जाने की बात सामने आ रही है।
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