वाराणसी न्यूज़: जिले की एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट) लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है. जिले की नौ यूनिटों में चार में सर्जन की स्थाई नियुक्ति ही नहीं है. अचानक किसी घटना पर यहां तत्काल टांका लगाने वाला भी कोई नहीं होता है. सप्ताह में एक-दो दिन दूसरी यूनिटों या अस्पतालों के सर्जन की ड्यूटी लगाकर कोरम पूरा किया जाता है. एसे में यहां आने वाले मरीज अक्सर यह सवाल कर बैठते हैं सर्जन ही नहीं तो कैसा फर्स्ट रेफरल यूनिट.
पीएचसी और सीएचसी से गंभीर मरीजों को एफआरयू पर रेफर किया जाता है. बड़े अस्पताल की यूनिटों में तो सर्जन की तैनाती सातों दिन रहती है लेकिन सीएचसी की यूनिटों पर ऐसा नहीं है. सीएम ने हाथी बाजार सीएचसी को गोद लिया है. यहां भी जनरल सर्जन की ड्यूटी सप्ताह में सिर्फ तीन दिन ही लगती है. सीएचसी दुर्गाकुंड और सीएचसी चोलापुर की यूनिटों में भी तीन दिन सर्जन बैठते हैं. सबसे खराब स्थित सीएचसी गंगापुर की है. वहां सिर्फ एक दिन ही सर्जन बैठते हैं. सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने कहा मानव संसाधन की कमी है.
एसवीएफ भेलूपुर में शल्य चिकित्सक नहीं
एसवीएम भेलूपुर में एफआरयू नहीं है. शहर के बीचों-बीच संचालित इस अस्पताल में भी सर्जन नहीं है. मरीजों का सिर्फ बैंडेज होता है. सर्जन नहीं होने से मरीजों को हायर सेंटर पर रेफर कर दिया जाता है.