गाजियाबाद न्यूज़: सरकारी विभागों की लापरवाही से साढ़े तीन हजार मकान फंसे हुए हैं. बाहरी विकास कार्य नहीं होने से करीब साढ़े चार साल बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का पहला प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है. इन विभागों को पांच प्रोजेक्ट के बाहरी विकास कार्यों पर करीब 51.8 करोड़ रुपये खर्च करना है.
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के पांच प्रोजेक्ट में कुल 3,496 मकान तैयार कर रहा है. इनमें से 2,785 मकान का निर्माण चल रहा है. जबकि 800 से अधिक मकान बनकर पूरी तरह तैयार है. फिर भी इनके लाभार्थियों को मकान पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है. क्योंकि इन मकान में रहने वालों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. जीडीए अधिकारी बताते हैं कि प्राधिकरण को इस योजना में जमीन की तलाश कर मकान का निर्माण करना है. इसपर 51.8 करोड़ खर्च होने हैं. जीडीए कई बार इन सभी विभागों से अपने हिस्से का काम करने को कह चुका है, लेकिन किसी भी विभाग ने अभी तक इन प्रोजेक्ट में काम शुरू नहीं किया है.
यहां इतने बन रहे मकान
योजना मकान
मधुबन बापूधाम योजना 856
डासना 432
प्रताप विहार 1200
नूरनगर 480
निवाड़ी 528
इन विभागों को इतना करना है खर्च
विभाग इतना करना है खर्च
पश्चिमांचल क्षेत्र, यूपी
राज्य पावर कॉरपोरेशन 19.91 करोड़
जल निगम 18.83 करोड़
नगर निगम 6.25 करोड़
लोक निर्माण विभाग 3.95 करोड़
नगर पंचायत निवाड़ी 2.84 करोड़
आवास योजना के प्रोजेक्ट में यह बाहरी काम होने हैं. मधुबन बापूधाम में जल निगम को 3.4 करोड़ रुपये की लागत से बाहरी जलापूर्ति करनी है. पश्चिमांचल क्षेत्र, यूपी राज्य पावर कॉरपोरेशन को बाहरी विद्युतीकरण का काम 2.9 करोड़ की लागत से करना है. डासना में 3.2 करोड़ से ट्रंक सीवर, 2.2 करोड़ से बाहरी जलापूर्ति की व्यवस्था जल निगम को करनी है. 3.3 करोड़ से पश्चिमांचल क्षेत्र, यूपी राज्य पावर कॉरपोरेशन को काम करना है. प्रताप विहार में लोकनिर्माण विभाग को 2.4 करोड़ से एप्रोच रोड, निगम को 2.5 करोड़ से ट्रंक ट्रेन, जल निगम को 3.1 करोड़ से जलापूर्ति, 5.4 करोड़ से पश्चिमांचल क्षेत्र का काम करना है.