प्रतापगढ़: वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना शुरू होते ही जिले के माननीयों को शासन से मिली अवशेष निधि की याद आ गई है. नतीजा माननीयों के प्रतिनिधि विकास भवन स्थित परियोजना निदेशक डीआरडीए कार्यालय में दिखने लगे हैं. अवशेष निधि की धनराशि आनन-फानन खपाने के फेर में जिले के अधिकतर माननीय पुराने प्रस्तावों को मंजूरी देने से नहीं चूक रहे. यही नहीं परियोजना निदेशक डीआरडीए कार्यालय के कर्मचारियों पर भी प्रस्ताव का सत्यापन करने और निधि की धनराशि ट्रांसफर करने का दबाव बढ़ गया है.
जिले के सात विधायकों और सांसद को अपने-अपने क्षेत्र के विकास के लिए शासन की ओर से पांच-पांच करोड़ रुपये बतौर निधि करीब सात महीने पहले दिए गए थे. बीते करीब छह महीने में कुंडा, बाबागंज और रामपुर खास विधायक के साथ एमएलसी और सांसद ने करीब एक महीने पहले अपनी सम्पूर्ण निधि विकास कार्यों पर खर्च कर दी. जबकि पट्टी, रानीगंज, विश्वनाथ और सदर विधायक की निधि अवशेष रह गई थी.
जैसे ही वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना शुरू हुआ, माननीयों की ओर से अवशेष निधि की धनराशि खपाने की कवायद तेज कर दी गई है. इसका असर विकास भवन स्थित परियोजना निदेशक डीआरडीए कार्यालय पर भी दिखने लगा है. अक्सर सन्नाटे में दिखने वाले पीडी कार्यालय में सुबह से शाम तक माननीयों के प्रतिनिधि व चहेते बैठे दिख रहे हैं. यही नहीं कर्मचारियों की अफरातफरी देखकर यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि उन पर माननीयों के प्रस्ताव का सत्यापन करने और निधि ट्रांसफर करने का दबाव भी है.
अवशेष निधि के सापेक्ष आ चुके हैं प्रस्ताव
माननीयों की निधि की धनराशि भले ही अभी अवशेष है लेकिन उसके सापेक्ष प्रस्ताव डीआरडीए कार्यालय में पहुंच चुके हैं. इन्हीं प्रस्तावों का सत्यापन कराने और धनराशि ट्रांसफर कराने के लिए माननीयों के प्रतिनिधि लगातार डीआरडीए कार्यालय में डेरा जमाए दिख रहे हैं.
कुछ जनप्रतिनिधियों की निधि की धनराशि अभी अवशेष है लेकिन उसके सापेक्ष प्रस्ताव कार्यालय में जमा हैं. इन प्रस्तावों का सत्यापन कर सप्ताहभर में धनराशि ट्रांसफर कर दी जाएगी.
-आरसी शर्मा, परियोजना निदेशक डीआरडीए