बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने गृह विभाग उठा सकता है बड़ा कदम, पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होगी?

सीएम ने अफसरों को कानून व्यवस्था पर पूरा ध्यान देने के लिए आगाह किया है.

Update: 2022-04-05 02:30 GMT

Police Commissionerate System: उत्तर प्रदेश में दोबारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद सीएम ने अफसरों को कानून व्यवस्था पर पूरा ध्यान देने के लिए आगाह किया है. इसके बाद भी गाजियाबाद में अपराध लगातार बढ़ते नजर आ रहे हैं. बढ़ती आपराधिक घटनाओं के चलते गाजियाबाद शहर में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू हो सकती है. गाजियाबाद के साथ ही मेरठ, प्रयागराज और आगरा में भी पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हो सकती है.

सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश का गृह विभाग इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है. उत्तर प्रदेश के 4 जिलों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था पहले से लागू है. इनमें लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्ध नगर और कानपुर शामिल हैं. ऐसा माना जा रहा है कि 2022 चुनाव में भाजपा ने जिस कानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाया था, उस मुद्दे पर सरकार किसी भी हालत में समझौता नहीं करना चाहती है.
बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते जल्द ही मेरठ और गाजियाबाद में कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की तैयारी की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक अपराध की गंभीरता को देखते हुए गाजियाबाद मेरठ, आगरा और प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में कमिश्नरेट प्रणाली की जरूरत पर बल दिया गया है. जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारियां चल रही हैं.
यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के तेवर सख्त हैं. इसी कड़ी में हाल ही में सोनभद्र के जिलाधिकारी और गाजियाबाद के एसएसपी को निलंबित कर दिया गया था. गाजियाबाद के एसएसपी के निलंबन के पीछे की वजह पिछले ढाई महीने में हुई 100 बड़ी वारदातें थीं. एसएसपी पवन कुमार ने अगस्त 2021 में पद संभाला था. 31 मार्च को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद कुछ समय तक गाजियाबाद की कमान मेरठ के आईजी प्रवीण कुमार ने संभाली. इसके बाद आईपीएस एम. मुनिराज को अस्थायी तौर पर गाजियाबाद जिले का एसएसपी बनाया गया है.
आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया हुआ था. उस वक्त सारी न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थी. पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है. देश आजाद होने के बाद यह प्रणाली वक्त के साथ-साथ दूसरे महानगरों में भी लागू की गई. यही वजह है कि अब भारत के कई महानगरों में यह प्रणाली लागू है. इस व्यवस्था में पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है. क्योंकि डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं. इस प्रणाली में पुलिस खुद ही किसी भी हालात में कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले ले सकती है.
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