संतकबीरनगर जिले का मगहर स्थित कबीर चौरा पर रविवार को महामहिम रामनाथ कोविंद पहुंचे

संतकबीरनगर जिले का मगहर स्थित कबीर चौरा पर रविवार को महामहिम रामनाथ कोविंद पहुंचे।

Update: 2022-06-05 09:24 GMT

संतकबीरनगर जिले का मगहर स्थित कबीर चौरा पर रविवार को महामहिम रामनाथ कोविंद पहुंचे। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे। राष्ट्रपति ने 49 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसके अलावा उन्होंने परिसर में वृक्षारोपण किए। मगहर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के बाद महामहिम 12 बजे गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंच गए। वहीं से प्लेन से वाराणसी के लिए प्रस्थान किए। राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी वाराणसी चले गए।

बता दें कि केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार कबीर स्थली को पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए लगातार कार्य कर रही है। संतकबीर अकादमी व शोध संस्थान के साथ अन्य कई परियोजनाओं की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून 2018 को रखी थी। जिसकी कुल लागत 49 करोड़ 47 लाख 66 हजार है। जिसका लोकार्पण रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटिल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहें।
31 करोड़ तैयार हुआ है संतकबीर अकादमी व शोध संस्थान
कार्यदायी संस्था आवास विकास के अवर अभियंता संतोष यादव ने बताया कि संतकबीर अकादमी व शोध संस्थान बनकर तैयार है। इसमें कुल 31 करोड़ की लागत आई है। उन्होंने बताया कि टाइप वन टाइप टू और टाइप फोर आवास भी बनकर तैयार है। म्यूरल गैलरी, पार्क, पार्कों में पौधों के साथ ही घास, सड़कों के साथ ही 308 लोगों के बैठने के लिए सुसज्जित ऑडिटोरियम हॉल बन गया है।
17 करोड़ 61 लाख रुपये की लागत से तैयार इंटरपिटेशन गैलरी
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत कुल 17 करोड़ 61 लाख की लागत से विकास कार्य कराए गए हैं। कार्यदायी संस्था वैपकोश के अवर अभियंता समीर यादव ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत इंटरपिटेशन गैलरी, पार्क में बेंच, घाट के सुंदरीकरण, आमी नदी में वोटिंग के लिए पांच नाव, लाइट एंड साउंड सिस्टम, 10 गजबे, एक कैफेटेरिया, दुकानें, 75 सोलर लाइटें आदि का कार्य हुआ है।
पुरातत्व विभाग को नहीं मिला पास
राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए पुख्ता सुरक्षा है। कार्यक्रम के लिए पास आवंटित किए गए हैं। बिना इसके किसी को जाने की इजाजत नहीं होगी। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी ने बताया कि उनके विभाग को पास नहीं मिला है। जबकि कार्यदायी संस्थाओं को कार्य करने के लिए अनापत्ति प्रमाण उनके विभाग ने ही दिया है। यह पूरा परिसर संरक्षित है। ऐसे में उनके विभाग का पास न बनना दुख की बात है।


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