राम मंदिर आंदोलन में इनका बड़ा योगदान, CM योगी भी करते हैं सम्मान

Update: 2023-08-19 10:17 GMT
उत्तरप्रदेश: सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले आने के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तीव्र गति से हो रहा है. लेकिन राम भक्तों के इस सपने को साकार करने के लिए हजारों भक्तों ने अपनी जान की कुर्बानी दी. 70 वर्षों से चले आ रहे राम मंदिर आंदोलन के संघर्ष में शलाका पुरुष कहे जाने वाले परमहंस रामचंद्रदास को आज भी अयोध्या याद करती है. मंदिर आंदोलन के सूत्रधार रहे दिगंबर अखाड़ा के महंत परमहंस रामचंद्रदास की आज 20वीं पुण्यतिथि है.
देश की राजनीति में भी स्व. परमहंस रामचंद्रदास का दबदबा रहता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परमहंस रामचंद्रदास के निधन पर अयोध्या के सरयू तट पर जाकर उनको श्रद्धांजलि दी थी. परमहंस रामचंद्रदास के कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस दिन उनका देहांत हुआ था, उस दिन संपूर्ण अयोध्या सावन की तृतीया तिथि पर गम के साथ शोक की लहर में डूब गई थी. 1949 से राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले परमहंस रामचंद्रदास राम मंदिर निर्माण के लिए आजीवन संघर्षरत रहे.
राम मंदिर आंदोलन की लड़ी लड़ाई
दिगंबर अखाड़ा के श्री महंत परमहंस रामचंद्रदास राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा तो थे ही पूरे प्रदेश और देश के नेता उनका सम्मान भी करते थे. इतना ही नहीं, परमहंस रामचंद्रदास को प्रतिवाद भयंकर की उपाधि भी दी गई थी. वह राम मंदिर के लिए हमेशा संघर्षशील रहे. परमहंस रामचंद्र दास ने पहली बार 15 मार्च 2002 को राम मंदिर का शिला पूजन किया था. पूरे देश के राम भक्तों को तभी राम मंदिर निर्माण की एक उम्मीद दिखी थी. तब राम मंदिर की शिला को लेकर निकले परमहंस रामचंद्रदास को रोकने में केंद्र स्तर के नेताओं के भी पसीने छूट गए थे. उनके संघर्षों का ही परिणाम है कि आज अयोध्या में रामलाल का भव्य मंदिर आकार ले रहा है.
इतना ही नहीं राम मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष रहे परमहंस रामचंद्रदास की पुण्यतिथि पर प्रत्येक वर्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धर्मनगरी अयोध्या पहुंचते हैं और दिगंबर अखाड़े में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. मुख्यमंत्री योगी और दिगंबर अखाड़े का बहुत पुराना संबंध है. सीएम योगी गुरु महंत अवैद्यनाथ और दिगंबर अखाड़ा के महंत परमहंस रामचंद्रदास घनिष्ट मित्र थे. यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी प्रत्येक वर्ष दिगंबर अखाड़े पर पहुंचकर परमहंस रामचंद्रदास को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
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