हाई कोर्ट का अहम फैसला: लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही शादीशुदा महिला को संरक्षण देने से इंकार, लगा इतना जुर्माना

Update: 2021-06-18 02:50 GMT

लिव इन रिलेशन में रह रही शादीशुदा महिला को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने महिला को लिव इन में रहने पर संरक्षण देने से किया इनकार कर दिया. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर याची पर पांच हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि क्या हम ऐसे लोगों को संरक्षण देने का आदेश दे सकते हैं, जिन्होंने दंड संहिता व हिंदू विवाह अधिनियम का खुला उल्लंघन किया हो. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 सभी नागारिकों को जीवन की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता कानून के दायरे में होनी चाहिए तभी संरक्षण मिल सकता है.
दरअसल, अलीगढ़ की गीता ने याचिका दाखिल कर पति व ससुरालवालों से सुरक्षा की मांग की थी. वह अपनी मर्जी से पति को छोड़ कर दूसरे व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशन मे रह रही है. उसका कहना है कि उसका पति और परिवार के लोग उसके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं. गीता की याचिका पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया.
इससे पहले पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे एक कपल को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था. हाई कोर्ट का कहना था कि अगर कपल को संरक्षण दिया गया तो इससे सामाजिक ताने-बाने पर खराब असर पड़ेगा.
बता दें कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में लिव-इन में रह रहे एक कपल ने संरक्षण देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी. याचिका दाखिल करने वालों में लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल के आसपास थी. याचिका में कहा गया था कि उन्हें लड़की के परिवार वालों से खतरा है, इसलिए उन्हें सुरक्षा दी जाए.
इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, "अगर इस तरह के संरक्षण का दावा करने वालों को इसकी अनुमति दे दी जाएगी तो इससे समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा. इसलिए संरक्षण देने का कोई आधार नहीं बनता."
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