लखनऊ। लखनऊ केवल अवध की गंगा-जमनी तहजीब की ऐतिहासिक विरासतों को संभालने वाला शहर ही नहीं है,बल्कि इसे पूरी दुनिया में संगीत,साहित्य और नवाबी तहजीब की नगरी के रूप में भी पहचान मिली हुई है। इससे भी आगे बढ़कर अंग्रेजों के खिलाफ चले 200 वर्षों के स्वतंत्रता संग्राम का हर पन्ना लखनऊ के जिक्र के बिना अधूरा है। केन्द्रीय स्तर पर चल रहे स्वच्छ भारत अभियान का शोरशराबा घंटाघर में लखनऊ के लिए स्वच्छ विरासत अभियान की रंग-बिरंगी पतंगों के रूप में हवा में उड़ता नजर आया था। 11 दिनों तक चलने वाले इस सरकारी अभियान की जमीनी असलियत जाने के लिए तरूणमित्र की टीम ने जब लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों और इसके लिए उत्तरदायी सरकारी कार्यालयों का दौरा किया तो यह समझ में आया कि सूबे की राजधानी में स्वच्छ विरासत अभियान भी उड़ती पतंगों की तरह हवा में ही मौजूद है,उसका जमीनी असलियत से तीन दिन गुजरने के बाद भी कोई लेना-देना नहीं है। सबसे पहले लखनऊ के दिल कहे जाने वाले हजरतगंज बाजार के बीचोबीच खड़ी अमजद अली शाह के मकबरे की वह ऐतिहासिक इमारत है जिसे 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम की रणस्थली के रूप पहचाना जाता है। हलवासिया मार्केट के सामने मौजूद इस इमारत के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने मायावती के शासनकाल में लाखों रूपए की कीमत से बनाया गया फुव्वारा तो सूखा पड़ा है,लेकिन इसमें भरे बरसाती गंदे पानी के हौज का इस्तेमाल अगल-बगल से गुजरने वाले कूड़ेदान की तरह कर रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करोड़ों अभिभावकों को बड़ी राहत दी है।
हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए गए अपने आदेश में प्रदेश के सभी बोर्डों के सभी स्कूलों से कहा है कि कोरोना काल 2020-2021 सत्र में अभिभावकों से ली गई स्कूल फीस की 15 परसेंट फीस उन्हें माफी करनी होगी। माफी की गई यह फीस अभिभावकों को छूट के रूप में मिलेगी। हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी स्कूलों को साल 2020-21 में ली गई कुल फीस का 15% जोड़कर आगे के सेशन में एडजस्ट करना होगा। साथ ही साथ जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूलों को उन्हें साल 2020-21 में वसूले गए शुल्क का 15% मूल्य जोड़कर वापस लौटाना होगा। इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी सकूलों को 2 महीने का समय दिया है। सभी याचिकाओं की सुनवाई 6 जनवरी को हुई थी और फैसला आज 16 जनवरी को आया है।कोरोना काल में ली जा रही स्कूल फीस के विरोध में तमाम अभिभावकों की ओर से इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है की साल 2020-21 में राज्य के सभी स्कूलों में ली गई कुल फीस पर 15% माफ़ किया जायेगा। अदालत में याचिकाकर्ता अभिभावकों की ओर से एडवोकेट शाश्वत आनंद व यानेंद्रा पांडे ने पक्ष रखते हुए जोर दिया था कि निजी स्कूलों में साल 2020-21 में ऑनलाइन ट्यूशन को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं दी गई। इस प्रकार निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस से एक भी रुपया ज्यादा लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यवसायीकरण के अलावा कुछ भी नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने अपने तर्कों के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के हाल ही में दिए हुए फैसले का भी हवाला दिया है। जिसमें भी कहा है कि निजी स्कूलों द्वारा बिना कोई सेवा दिए फीस की मांग करना, मुनाफाखोरी व शिक्षा का व्यवसायीकरण ही है।