बीआरडी महानगर में पांच साल से दिल का इलाज बंद, दिल के इलाज के लिए मरीज भटक रहे
पांच साल से दिल का इलाज बंद
मथुरा: महानगर स्थित भाऊराव देवरस अस्पताल (बीआरडी) में हृदय रोगियों को करीब पांच साल से बंद है. दिल के मरीजों को इलाज के लिए सिविल, बलरामपुर अस्पताल में पहुंचना पड़ रहा है. अहम बात है कि अस्पताल में दिल के मरीजों से जुड़े उपकरण, संसाधन कमरे में बंद पड़े हैं. अस्पताल में एक भी हृदय रोग डॉक्टर न होने से अस्पताल में दिल के इलाज के लिए मरीज भटक रहे हैं.
महानगर का भाऊराव देवरस अस्पताल ट्रांसगोमती का इकलौता प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग का अस्पताल है. लोहिया अस्पताल के लोहिया संस्थान में विलय के बाद अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ. साल पहले ही अस्पताल को 0 बेड की सुविधा देने वाला अस्पताल घोषित कर दिया गया था, लेकिन आज तक करीब 35 बेड संचालन की ही शासन से अनुमति है. फिर भी संसाधनों, मैनपावर की कमी के चलते अस्पताल प्रशासन करीब 70 बेड पर मरीजों को इलाज दे रहा है.
वर्ष 2018 से बंद है यूनिट
बीआरडी महानगर में पांच बेड की कॉर्डियक यूनिट को वर्ष 20 में शुरू किया गया था. उस समय रोजाना ओपीडी में 50 से 60 दिल के मरीजों को यहां इलाज मिल रहा था. इमरजेंसी में भी चार से पांच मरीजों की रोजाना जान बचाई जाती रही थी.
वर्ष 2018 से संचालन ठप
वर्ष 2018 से इस कॉर्डियक यूनिट का संचालन ठप हो गया. हृदय रोग डॉक्टर के जाने से यूनिट कुछ दिन बाद पूरी तरह बंद हो गई. दिल की बीमारी से जुड़े उपकरण और दूसरे संसाधनों को अस्पताल के एक कमरे में बंद कर दिया गया.